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बयान-पौरबंदर-और-द्वारिका. (८९) सन (२१०) इस्वीकेपेस्तरसेंगिरनारतीर्थ जैनश्वेतांबरोंकेजियारतकी जगहमशहुरहै-ऐसा-इतिहासकारोंकाभी फरमानाहै,
( तवारिख-तीर्थ-गिरनारखतम-हुई,-) तीर्थगिरनारकी जियारतकरके जुनागढसेंअगरकोः पौग्दर तकरैलमें औरपोरबंदरसें ष्टीमर बैठकर समुंदरकेगन क . हुवे मुल्ककछको जानाचाहेतो जासकतेहै, अगरको ..... केरास्ते राजकोट-जामनगरहोकर-जाम मीना : रास्तेमुल्ककछकों जानाचाहेतोभी जासकतहै. जिनकाकछके जै:तीर्थजानेकी फुरसत-न-हो-और-जुनागढसे धोलाजंकशन होतेहुवे-वढवान-वीरमगांव-अहमदाबादके रास्ते-उतर-पूरव-या-दखनकों जानेकाइरादाहो-तोभी-जासकतेहै, कइगस्तेहै जिनकीजैसीमरजीहो-मुताविक उसकेसफरकरे,
( बयान-पोरबंदर-और द्वारिका. . . (जुनागढसे पोरबंदर द्वारिकाहोतेहुवे-)
(मुक्लकछ जानेका रास्ता.) *जुनागढसे-वडाल-जेतलसरहोकर धोरांजीजाय, यहांपर मैनश्वेतांबरमंदिर औरआवादीजैनश्वेतांबरश्रावकोंकी अछीहै, मर्दुमशुमारी ( २०४०६ ) मनुष्योंकी-और-जिसचीजकी दरकारहो
* जुनागढसें दखनमें वेरावल-पाटन-जैनोकी आबादीकेशहर और-उनमें बडेबडेआलिशान जैनमंदिरबनेहुवेहै, रैलकिराया -पनरह आने,
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