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________________ तवारिख - तीर्थ - गिरनार. ( ८७ ) गिरनारकी गुफायें पेस्तरबडीथी, और उनमे बडेबडेमुनिमहर्षि ध्यान किया करते थे, अबभी कइगुफाये मौजूद है. जिनोनेइसतीर्थकी जियारत कि है उनको बखुबीमालुम होगा. जिनके बडेभाग्यहो इस तीर्थ की यात्रा करे, धर्मशाला- पानी के कुंड - कोठी - और - कारखानासबइंतजाम अछावना है. नेमनाथजी की टोंक से आगे दुसरीटोंकके दर्शनोंकों जाना चाहिये. रास्तेमें पानी के हौज - पकानात - औरराजुलगुफा वगेराआते है. दुसरीटों कसें आगे तीसरीटोंककोजाना सहस्राम्रवन जानेकारास्ता तीसरीटों कसें फटता है. सहस्राम्रवनसे आगे अगरकोइ यात्रीनीचे तलहटीकों जानाचाहतो जासकता है, रास्ता पगदंडीका बाहुवा है, सहस्राम्रवनमें तीर्थकर नेमनाथमहाराज के दीक्षाकल्याणि - ककी जगह - छत्री - और - चरन जायेनशीन है, दर्शनकरके जोकोइ यात्री पांचमी टोंकों जानाचाहे फिरवापिस आनकर चौथीटोंकको जावे, चोथीटों पर तीर्थकर नेमनाथजी की अधिष्ठात्री देवी अविकाका मंदिर बना हुवा है, चोथीटो कसे आगे पांचमी टोंकका रास्ता शुरु है, उस रास्ते - पांचवी टोंकक जाय. रास्ताअलवते ! कठिन है. असलमें पांचवीटोंक गिरनारपहाडके सीरेपर और पहाडकासीरा - आस्मानसें बिलकुल बराबरीकररहा है. यात्रीकों पाचवीटोंककोजाना दुसवार और हेरानी मालुम होती है, गोकि - जवान आदमी हो - बगेरेलकडी के जाना नहीहोसकता. इससववसेहरयात्री वहांपरजानेकेलिये बतौर सहारे के लकडीशाथ लेजाता है, जिसके बडेभाग्य हो इसतीर्थकी जियारत करें पांचवीठोंकपरतीर्थकर नेमनाथजीके चरणजायेनशीन है, और एक मूर्त्ति दिवा में उकेiss उसके दर्शन करे. - जगह सुहावनी- देखकर दिलखुशहोगा. - जिसवन्तइसटांकपर खडेहोकर नजरफेरेतो मालुम देताहैमानो ! आस्मानसें जमीनकी शैरकर रहे है, तरहतरहकी हरिया - Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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