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तवारिख-तीर्थ-गिरनार. (८५) यहांपरपहुंचकर तीर्थकरनेमनाथजीकी मूर्तिकेदर्शनकरे, बडेघेरे मेंदिरोंका जमावबनाहुवाहै, पूजारी-नोकर-चाकर सबइंतजामउमदा तौरसेंकायमहै, तीर्थकर नेमनाथजीकी टोकपरबडेबडेसोलहजैनमंदिर निहायतखूबसुरतिकेशाथ एकदूसरेसेंबढकर बेशुमारदौलत-और-पुख्तगीसेंबने है, देखकरदिलखुश औरताजाहोगा, (१४५ ) फुटलंबे और (१३० ) फुटचोडेअंगनमें तीर्थकरनेमनाथजीका शिखरबंदमंदिरबहुतखूबीकेशाथ तामीरहै, औरइसमेंतीर्थकरनेमनाथजीकी मूर्ति-शामरंग-और-हमेशां सोनेजवाहिरातोंसें सजीहुइतख्तनशीन है, दर्शनकरकेदिलखुशहोगा, सन (१२७८) इस्वीमेंइसकीमरम्मतहुइ, बडेबडेरंगमंडप-चरणपादुका-और शिलालेखयहांपरमौजूदहै, तीथैकरनेमनाथजीके मंदिरकी-चारोंतर्फउमदा ताजगीसें बनेहुवे छोटे छोटे (७०) मंदिरदेखकरदिलखुशहोगा, बायीतर्फबडेबडेआलिशान तीनमंदिर-एकमंदिरमें तीर्थकररिषभदेवभगवानकी मूर्त्तितख्तनशीन है, सामनेइसके पांचभाइयोंकामंदिर-पश्चिमकीतर्फबडा आलिशान पार्श्वनाथजीकामंदिर-और-इसके उत्तरकीतर्फ फिरएकमंदिरपार्थनाथजीका-इसकेउत्तर बगलकेपास-मंदिर-छत्रपतिराजाकुमारपाल का-और-नेमनाथजीकेमंदिरसे पिछाडीदिवान-वस्तुपाल-तेजपाल केबनायेहुवे तीनमंदिर-जोकि-सन ( ११९९ ) इस्वीकेअर्सेमेतामीर करायेगये है, बडीलागतके है,
छत्रपतिमहाराज संप्रतिकाबनायाहुवा शिखरबंदकीमतीमंदिर बडीलागतका औरपुरानाहै. उसकीशिल्पकारीगिरीपर आजबिल्कुल वेपरवाइहोरही है, औरउसपरचुनापुतवायाजाताहै. असलमेंऐसीकारिंगरीपर चुनापुतवानाकोइजरुरतनही. वगेरचुनेकेही-वे-निहायत खूबसुरतमालूमदेते है, देखोखुशनसीबोंने क्याक्या उमदा कारीगिरी किइथी जो ज़मानेहालमें होनादुसवारहै, पथरोपर नक्सकारी और
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