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________________ वयान शिहोर-भावनगर-और-गोघा. ( ७९ ) अलंकारके पढेहुवे आलादर्जेके पंडितयहांपर आवादहै. बौरतालाव अथाहजलका भराहुवा एकअखूट खजानाहै जोदुकालके वख्तभी यहांपानीकीतंगी-नहींहोनेदेता, भावनगरमें जैनश्वेतांबरमंदिर (४) औरघरदेहरासर(३) है, जैनघुस्तकालय वडेमंदिरमें निहायतपुरानाहै जैनश्वेतांबरश्रावककरीव (४०००)-औरयात्रीयोंको ठहरनेकेलिये दादावाडी एकउमदाजगहहै, टेशनपर उतरकर यात्रीसीधे दादावाडी चलेजाय, इका-वी-वगेरासवारी तयारमिलती है. जैनबोर्डिंगभी इसीजगहतामीरहे--और-कइलडके--इसमे--हमेशाइल्मपाते है, जैन पाठशाला--और-कन्याशाला शहरमेंमौजूद है. अंग्रेजीपढनेलिये हाइस्कुलभी राज्यकीतर्फसवनीहुइ-वडीलागतका मकानहै. यात्रीभावनगरकेमंदिरोकी जियारतकरके-गोघा-बंदर-जोकरीव (६) कोसकेफासलेपर आवादहैजाय, औरघनोघमंडन-पार्श्वनाथतीर्थकीजियारतकरे, समुंदरकेकनारे गोघावंदर-एक छोटासाकस्वाहै. शहरभावनरसें यहांतकसडकपकी बाहुइऔर-सवारीकलियेइका-वगीतयारमिलतीहै, जैनश्वेतांवरश्रावकोकी आवादीकरीव-( ५०० ) की-औरघनौघमंडन-पार्थनाधका-बडाआलिशानमंदिर यहांतामीरहै, जिसकों नवखंडापार्श्वनाथभीवोलतेहै, मूर्ति-शामरंग-करीबदो हाथवडीइसमेतख्तनशीनहै, दर्शनकरकेदिलखुशहोगा, दो-मंदिरऔरभी शिखरबंदयहांपरतामीरहै. जैनश्वेतांवरधर्मशाला यहांपरवनीहुइयात्री इसमेंकयामकरे, जिसचीजकीदरकारहो यहांमिलसकतीहै, समुंदरकनारेबडेबडेजहाजआतेजातेहै, औरमुरत-भरूच-बंबइतक-तिजारत होतिहै, गोघावंदरसे जहाजमेसवारहोकर चारकोशआगेजानेपरसमुंदरमें-अक-पीरम-नामकापुरानाटापुहै,-थोडेवरस पेस्तर-जमीन खोदनेपरयहांसें पुरानीजैनश्वेतांबर (१०) मूर्तिये-निकसीधी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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