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( ७८ ) बयान शिहोर-भावनगर-और-गोघा. सिंहजीने इसकोआवादकिया. जिलेकाठियावाडके पूरवकनारेयही उमदाशहरहै, भावनगरके तख्तपरजनाब-राजासाहबबहादूर-तख्तसिंहजी-बडेधर्मात्मा-राजाहुवे. कइशख्शोंकोरहमदिलीसें दौलत देकरउनोने आरामतलव किये. जमानेहालमें उनही के पुत्र-महाराजभावसिंहजी-भावनगरकेतख्तपर अमलदारीकरतेहै, औरधर्मकेकाममें आमलोगोंकों मदददेते है, भावनगरकीमर्दुम-शुमारी (५७६५३) मनुष्योंकी-रुइ-अनाज-नमककीतिजारत यहांज्यादह, इसरान्यमें (११७) स्कुले और उनमें (६३००) लडके इल्मपाले है, खास ! भावनगरमेंजो-हाइसस्कुलहै उसकीगिनती अलगसमझो,-राजमहेल निहायतउमदा-कपडेबनानेकी मील-अस्पताल-छापखाने-स्कुल-और-दिवानी-फोजदारी-कचहरीयां-वडेवडेआलिशानमकानहै, समुंदरकनारे बडेवडेजहाज-और-टीमरें आती और छुटती है, और सुरत-वंबइ तक तिजारतहोती है, भावनगरकी चारोतर्फ पेस्तर पुराना कोट
और-चारदरवजे मौजूदथे, मगरजमानेहालमें आवादी बढनेके सबब-नयीनयीइमारते तामीरहोतीजाती है, और-खूबसुरति बढती है, बाजार गुलजार-और-सोना-चांदी-जवाहिरात-मेवा-मिठाइ जो चीजचाहिये यहांपर मिलसकती है, घंटाघरकि-जिसकीअवाज दूरदूरतक फैलती है बीचशहरके बडीलागतका बनाहुवा बडेबडेकीमती-जैनश्वेतांवरमंदिर-जिनमें दादावाडीका नयामंदिर जोहालहीमें तामीरहुवाहै काबिलेदीदहै, मुनिजनोकों ठहरनेकेलिये कइमकानवनेहुवे है, दुनियादारहालतमें-मेरा-रहना इसी भावनगरमेंथा. महोले छत्रीकुवेकेपास-जहां-चंदरौज--मार्कीट बनीथी वहांघरथा,
और लडकपनमें वहांही परवरीशहुवा, ज्ञातिओशवाल-और-जैन मजहब अपना कुलधर्मथा, व्याकरण-काव्य-कोश-न्याय-और
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