SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 192
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (७४) तवारिख-तीर्थ-शत्रुजय. वे है. राजासंपतिकेगुरु-आर्य-सुहस्ती-जैनाचार्यबडेआलीम--फाजिलथे-और-वे-दशपूर्वज्ञानका इल्मरखतेथे. उनोनेराजासंप्रतिको खातिरजमा करवादिइथीकि-दौलत-और-जींदगी-दुनियामकोइ बडीचीजनहींहै. उमदाचीजएकधर्महीहै, औरवहीवडीचीजहै. हजा. रोंराजेरहीशहोगयेदेखलो ! कोइकायमनहीरहे, जोकुछकायमरहनेवालीचीजहै-वो-धर्म है. राजासंप्रतिनेउनकेफरमानपर पुराअमल कियाथा, औरहरवख्त धर्मपरसावीतकदमथा. .. शत्रुजयपहाडकेमंदिरोकी कारीगिरी अजीवकिस्मकी देखोगे, हरजगह सफाइ-खूबसुरति-तरहतरहकी कतावनाकवनेहुवे मंदिरचौक-गुंबज-और होजदेखकरआंखेतरहोतीहै, बडेबडेमंदिरोकेशिखरपरचढकरदेखोतो चारोतर्फमानींदे स्वर्गविमानके नजरआताहै. विमलवशीटोकमें जोतीर्थकररिपभदेवभगवानका मंदिरकर्माशाहशेठनेसंवत् (१५७८ ) में तामीरकरवायाहै-वे-चितोडके दिवानथे, औरउनकीइज्जित औरधर्मश्रद्धालाइकतारीफकेथी. जब-वे-शहर पालितानेमेंआयेथे उनकीमुबारिकवादीकेलिये बहुतजलसाहुवाथा, उनकेशाथमेहाथी-घोडे-म्याने--पालखी-रथ--सिपाही-नोकरचाकर-और-चर्च-चंग-वगेरातरहतरहकेवाजेथे, वडेवडेदानाऔरवहादूरशख्श उनकेशाथआयेथे. जव-वे-तीर्थकररिषभदेवभगवानके नयेबनायेहुवे मंदिरकीप्रतिष्टाको शत्रुजयपहाडपरगयेथे, जवाहिरात-और--सचेमोतियोके-थालोंसेंतीर्थका नसारकियाथा, औरअछेमुहुर्तमे प्रतिष्टाकिइथी, धर्मपावंदशख्श होतोऐ सेहो, उसवखतउनकी इज्जतइतनीथीकि-आजकलकेतमाम श्रावकोमें होनादुसवारहै,-.... .. . .... .... Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy