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तवारिख-तीर्थ-शत्रुजय. (७३ ) चौमुखाजीकीटोंककेहातेमें राजासंपतिका तामीरकरवायाहुवा मंदिरइसपहाडपर सबसेपुरानाशुमारकियाजाताहै,-तीर्थकरमहावीर स्वामीकी हयाती राजगृहीके तख्तपरराजाश्रेणिक अमलदारीकरताथा-औरवहजैनमजहवपर पावंदथा. श्रेणिककाबेटा कौणिकहुवा, उसकादुसरानामअजातशत्रुथा, औरयहभीजैनमजहवपर एतकातरखताथा. वालिदकेगुजरजानेपर उसनेराजगृहीकोंछोडकर अपनी अमलदारीचंपामें कायमकिइ, कौणिककाबेटाउदायीहुवा. यहभीजैनमजहवपर पावंदथा, औरउसनेचंपाकों छोडकरअपनीअमलदारी पटनेमेकायमकिइ. उदायीकेतख्तपर नंदनामकाराजाहुवा, नंदके तख्तपरआठपीढीतक नंदनामकेहीराजेहातेरहे, ये-जैनीनहीथे, इनकीअमलदारीभी पटनाहीरही, नवमेंनंदकोशिकस्तदेकर उसकीगदीपरचंद्रगुप्तराजाहुवा. यहजैनमजहबपर एतकातरखताथा. और उसकीअमलदारीभी पटनाहीरही.-चंद्रगुप्तकाबेटा-बिंदुसारहुवा. यहभीजैनमजहबपरपावंदथा. औरउसनेपटनाको छोडकरअपनीअमलदारी शहरउज्जेनमेंकायमकिइ. बिंदुसारकावेटा अशोकश्रीहुवा. इसनेवौधमजहबको इख्तियारकियाथा. राजा-प्रियदी-अशोकके जोशिलालेख हिंदमेंकहींकहीं मिलतेहेइसी अशोकके है, अशोकश्रीका बेटाकुणालहुवा. यहजैनथा. औरकुणालकावेटा-संप्रतिहुवा. इसकी अमलदारीभी शहरउज्जेनथी. औरजैनमजहवपरपावंदथा. इसने अपनेतमाममुल्कमें हजारोंजगह जैनमंदिरबनवाये-औरजैनमूर्तियें तख्तनशीनकिइ. कइजगहअबतकउनके बनायेमंदिरमौजूद है, तीर्थ शत्रुजयऔरगिरनारपर इसीकेबनायेहुवे मंदिरजोकि-पुराने-शुमार कियेजातेहैमौजूदहै, जमानेहालमें-जो-(३६०००) जैनश्वेतांवर मंदिर हिंदमेकायमहै उनमेंकइमंदिरइसीसंपतिराजाके तामीरकियेहु
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