________________
तवारिख-तीर्थ-शत्रुजय. (७५) चौमुखाजीकमंदिरमें जोशिलालेखलगाहुवाहै उसमें लिखाहैसुलतान-नुरुदीनजहांगीरके जमानेमेंसवाइविजयराजा-सुलतानखुशरुऔरखुरमाके वख्तसंवत् (१६७५) वैशाखसुदी (१३) के रौजदेवराज-और-उनकेखानदानमें-सोमजीऔरउसकी औरतराजलदेवीने यहचौमुखाजीकामंदिर तामीरकरवाया, शहरपालितानेमें जैनश्वेतांवरकारखाना बडीलागतकावनाहुवा-मुनीम-गुमास्ते-नोकर-चाकर-पूनारी-चौकी-पहरा-हरवस्तमौजूद-वा-कायम रहता है, उनकाखर्च-खराजात-सवकारखानेशत्रुजयसे दियाजाताहै, और यहसबआमदनी औरखर्चजैनश्वेतांवरोंके तावेमेंहै, जैनमेंऔसातीर्थ किसीअक्लिममें-न-देखोगे. गिरनार-समेतशिखर-आवु-औरकेशरियाजीवगेरा कइजैनतीर्थ है मगरशत्रुजयतीर्थ-पायाशाश्वताहै इसलियेसवतीर्थो में इसतीर्थकोंबडामानागया. अगरकोइयात्री-शत्रुजयतीर्थकी एकरौजमे-दो-दफे-यात्राकरनाचाहे विमलवशी-और मोतीशाहशेठकीटोंककेपास-जोनीचेउतरनेका-रास्तावनाहै उतरकर आदिपुरगांवकोंजाय, सीढीयांवेंडोलपथरोंकी बनीहुइहै, वहांपरतीथैकरनेमनाथमहाराजकी छत्रीऔरचरनपादुका तख्तनशीनहै. उनके दर्शनकरे, औरफिरवहांसे वापीसचढकरउसीरास्ते विमलशीटोंककों आवे, विमलवशीटोंकके दर्शनकरकेफिर वापीसपालितानेकी तलहटीकोलौटजाय दो-यात्रा-होजायगी,____अगरकोइयात्री शत्रुजयपहाडके सबमंदिरोंकीचारोंतर्फ छकोशकी परकम्मादेनाचाहे दरवजेरामपोलके दाहनीतर्फसें शुरूआतकरे, अवल देवकीजीकेखटनंदनकी छत्रीकेदर्शनकरे, आगेइसके चंदनतलाइ-सिद्धशिला-और- तीर्थकरअजितनाथ-शांतिनाथजीके चरणोकी दोछत्रीयआयगी. उनकेदर्शनकरे, सिद्धशिलाकीचयानपर पेस्तरकइमुनि अनशनकरके मुक्तिकोंगयेहै, इसीसबबसें कइयात्री
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com