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( ७० ) तवारिख-तीर्थ-शत्रुजय. जिसकों-देखकरताज्जुबहोगा. देवीचक्रेश्वरीकीमूर्ति इसमेंकाविलेदीदऔर सुनीदकेबनीहुइहै,
[ आठवीटोंक-छीपावशीकी,-] साकरचंद प्रेमचंदकीटोंकसें पूर्वतर्फछीपावशी टौकसंवत् (१७९१ ) में-तामीरकिइगइ, इसमें तीर्थकर रिषभदेवस्वामीका शिखरबंदमंदिर और उनहीमहाराजकी मूर्त्तितख्तनशीनहै. एकह
ख्त-मुझयन-साफ-खिरनीकायहांखडाहै और नीचेइसकेतीर्थंकर रिषभदेवभगवान्के चरनजायेनशीनहै, तीर्थकरअजितनाथ-औरशांतिनाथजीकेदोमंदिर पासपासमेंबनेहुवे निहायतखूबसुरत और पुराने है,-एकमंदिर नेमनाथजीका-संवत् (१७१४) कावनाहुवा इसटोंकमें है. आगेइसके चौमुखाजीकीटोंककोजाते करीबखीडकीके मंदिरएक पांचपांडवोंका-जिसमें युधिष्टीर-अर्जुन-भीम-सहदेवनकुल-पांचोकीमूर्ति कायोत्सर्ग ध्यानमेंखडी है, इसमंदिरकेपिछाडी मंदिरएक-सहस्रकूटका-बहुतसाफ औरकीमती बनाहुवा संवत् (१८६० ) का-तामीरहै, जोकि-शेठ-खूबचंदमयाचंद सुरतवालोंका बनायाहुवाइसमें-चौदहरज्वात्मकलोकका-अकस-समवसरणकानमुना-सिद्धचक्रजीकानकशा-और-चौइस छोटीछोटीमूर्ते जायेनशीनहै, दर्शनकरके दिलखुशहोगा.--
___[ नवमीटोंक चौमुखाजीकी, ] यहटोंकअहमदाबादवाले सदासोमजीने बडीमेहनतसें तामीर करवाइ, और वेशुमारदौलत सर्फकिइ. यहटोंक संवत् (१६७५) में तयारहुइ. औरइसमें तीर्थकररिषभदेवभगवान्की चार बडीबडीमूर्ते चारोंतर्फ तख्तनशीन किइहुइ जोपांचपांचहाथकी बड़ी काबिलेदीद औरदिदारकेहै, कइमर्तेऔर चरनपादुका इसमेंतामीरहै, सामने इसके
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