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तवारिख - तीर्थ - शत्रुंजय. पांचवी टोंक हेमाभाइशेठकी, ]
शेठ हेमाभावखतचंद्र रहीश अहमदाबाद साहुकारेकलानहुवे, उन संत (१८८२) में शुमार दौलतलगाकर यहटोंक तामीर करवाई, इसमें तीर्थकर अजितनाथजीकामंदिर और निहात खुबसुरत मूर्त्तिसंवत् ( १६८६ ) कीवनी हुइतख्तनशीन है, दाहनीतर्फमंदिर चौमुखाजीका - सामनेपुंडरीकस्वामीका - वगेरा कइ छोटेबडे मंदिरलाइकतारीफ केवनेहुवे है, झींझुकाकुंड - पाकस फेदमीस्ले बर्फ के बनाहुवाऔर एकबगीचा - गुलाब - चमेली - वा- मोरावगेरा हरकिस्मकेफूल इसमें मौजूद है और बरवख्तपूजनके यहीदेवकचढाये जाते है, -
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छठी टोंक नंदीश्वरदीपकी, ]
यहटोंक उजमवाइनेवनवाइ - जोकि - निहायत धर्मपावंद और - शेट - हेमाभाइकी हकीकीबहेनथी. संवत् ( १८८३ ) में उस खुशनArabia तामीरकरवाई. इसमें छोटेछोटे ( ५२ ) मंदिर - और - नंदीश्वरद्वीपका अकस - निहायत उमदाबनाहुवा है, इसमेंकुल मू ( २२८ ) सख्तनशीन है, मंदिरकुंथुनाथस्वामीका - और - एक मंदिर परसनवाइका तामीरकरवायाहुवा काविलेदीदहै,
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सातवीटोंक-साकरचंद प्रेमचंदकी, ]
साकरचंदप्रेमचंद साकीन अहमदाबादने संवत् ( १८९३ ) में यहटोंक बडीलागतसें तामीर करवाई, तीर्थकर चिंतामणिपार्श्वनाथकी धातुमय ( यानी ) सोना-चांदी - तांबावगेराधातुओंको मिलाकर एक आलिशान - व - नजीरमूर्ति वनवाइ औरतख्तनशीन कि. मंदि - स्पदमप्रभुका - और - मंदिरपार्श्वनाथस्वामीका – निहायत उमदा और कारिगरीका नमुना है, औरभीक छोटेबडेमंदिर इसटोंक में तामीर है.
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