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-तारिख-तीर्थ-शत्रुजय. (६३) कुंड (यामी ) पानीकाहौजमिलेगा. यहहौजसंवत् (१८३१ ) मुस्तवालशेठ इछामाइनेतामीरकरवाया. इसकेआगेपावकोश बढेतो छत्रपतिमहाराज कुमारपालकावनायाहुवा कुमारपालकुंड-और-आ गेइसके हिंगलाजकाहडा, दिलखुशनुमा-औरहवादारमकानहै, जिसकेदेखनेसेरुहकों ताजगीमिलतीहै. म्याने-या-डोलीमें जानेवाले यात्रीकोंभी यहांपरपचासकदमउतरनाहोगा. क्योंकि-चढाव-कठिन है, जगहनिहायत उमदा-और-यहांपरकलिकुंडपार्श्वनाथजीके चरन जायेनशीन है, आगेइसके छालाकुंड-मीठेजलकाभराहुवा-और-यहां परचारतीर्थकरोंके चरनोकोछत्रीवनी इहै, यहांसदो-रास्तेफटे है, दाहनीतर्फकारास्ता श्रीपूज्यनीकीटोंकका-जिसमें तपगछकेश्रीपूज्यों केचरन-और-गौतमगणधर-पदमावतीदेवी वगेराकीमूर्ति तख्तनशीनहै, बांयीतर्फकारास्ता मंदिरोंकीतर्फकोजाताहै, थोडीदूरपरअतिमुक्तकमुनीकीछत्री-द्राविड-वारिखिल्लकीछत्री-हीरावाइका कुंड और-इसकेआगे पांचपांडवोकी छत्रीकेदर्शनहै, आगेभूषणकुंड-भूषणशाहशेठसाकीनमुरतका तामीरकियाहुवा मीठेपानीसेलब्दतरऔर आगेइसकेशैलगराजर्षि शुकदेवजी-थावचामुनिकोछत्रीये बनी इहै, आगेइसके दोरास्तेफटेगें. एकरिषभदेवभगवान्की टोंकका दूसरा चौमुखाजीका-रिषभदेवभगवानकी टोकरास्तेपर-जालि-मयालि -उमयालिकीगुफा जिसमेंतीनोकी मूर्तिजायेनशीनहै.- .. ___आगेखासकिलेका जहांसेमंदिरोंकी शुरुआतहोती है रामपोल दरवजामिलेगा. इसमेंहोकरविमलवशीटोंकको जानाचाहिये. जोकि -खनकीतर्फ है, तीर्थकररिषभदेवभगवान् जहांखिरनीहस्तकेनिचे पूरवननानुदफेपधारेथे. इसटोंकमेंबडाआलिशानहख्त खडाहै. फाल्गुनसुदी (८) मीकेरौनतीर्थकररिषभदेवभगवान् यहांअवलआयेथे इसलिये फाल्गुनसुदीअष्टमीकी यात्राबडीपाकऔरउमदा समझीगइ,
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