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________________ ( ६२ ) तवारिख-तीर्थ-शत्रुजय. । जिसकों खानपानकरनाहो इसजगहकरे, जंगलजानाहो यहां जावे, आगेपहाडके उपरव-सबवपाकी औरताजगीके जंगलजानान-होगा, क्योंकि-तमामपहाड जायेअदवकाहै, यहांतककि-पावमें जुताभीकोइ जैनीनहीपहनता. यात्रीलोग शुभहको पहाडपरजातेहै और-जियारतकरकेशामकों पीछेलोटाते है, पहाडपर चढनेकेलियेम्याना-ब-डोलीवगेरातयारमिलती है. अगरकोइ पैदलजानाचाहै-तो-इख्तियारउसके है. शत्रुजयपहाड समुंदरकेपानीसें (१९८०) फूटऊंचा, पहाडपरचढनेकेलिये पथरोंकी बेंडोलसीढीय बनीहुइ है, कोइखुशनसीब यहांपरऊमदा सीढीयेबनानाचाहे बनसकती है, मगर खर्चकाकाम ज्यादहहै, पहाडकीशरुआतमें रास्तेकीदोंनों तर्फदोहाथी इंटचुनेकेबनेहुवे निहायतखूबसुरत गोया ! सचेहाथी यहांपर आनखडे देखलो, . इसपहाडकी इज्जतजैनोमें यहांतकमशहूरहैकि-अगरकोइयात्री पहाडपरजाय-ब-मुजबअपनी हेसीयतकेमोती-और-जवाहिरात नसारकरे, जवाहिरातकीताकात-न-हो-सुन्नेकेबनेहुवे फूलोंसें नसारकरे, जिसकीताकात उससेभीकमहो-तो-चांदीकेफुलोंसें--और अगर उसकीभी वसत-न-होतो-चावल-या-गुलाव-चमेलीके फुलोंसें-नसारकरे ( यानी) वधावे-औरफिरअगाडी कदमरखे,___ जहाँसेरास्ताशुरुहोताहै दोनोंतर्फदोबडेबडेदालान-अठाइसछोटीबडीछत्रीये जिसमेंसंगमर्मरपथरकाकाम औरइनमेंतीर्थकरोंकेचरन तख्तनसीनहै, यात्रीयहांताजीमकरे, औरफिरआगेकोंकदम उठावे. योडीदूरपरचढनसें-रायबहादुर धनपतसिंहजी-साकीनमुर्शिदाबादकातामीरकरायाहुवा खूबसुरतमंदिरमिलेगा.. इसकेसामनेपश्चिमकी तर्फचतदेवीकीएकगुफाबनीहुइ, आगेइसकेपौनकोशबढ़नेसे एकइछा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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