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तवारिख-तीर्थ-शत्रुनय. (६१) ऐसेपाकतीर्थकी हरवख्तइन्जितकरनाचाहिये. जिसनेइसकीअदबीकिइगोया ! उसनेअपनीतरक्कीकोखाखमेंमिलाइ. पांचवेआरेकीअखीरमें तमाम नतीर्थवरवादहोगें मगरउसवख्तभी इसतीर्थका रिषभकुटशिखर देवोकरकेपूजनीकरहेगा, बडेबडेगुनहार औरपापी इसतीर्थकी जियारतसेंपाकहुवेहै, जिसकेवडेभाग्यहो इसतीर्थकीजियारतकरे, मदिरमूर्तिबनवावे, औरचवरछत्रवगेराचीजें यहांपरभेट करे, जैनाचार्य भद्रबाहुस्वामी-वज्रस्वामी-और-पादलिप्ताचार्यने इसतीर्थकीतवारिखलिखी. मगरजमानेहालमें-वे-सबनेस्तनाबुदहुइ आचार्यधनेश्वरसूरिजीने जोतवारिखलिखीथीअवमौजूदहै, जिसका नामशत्रुजयमहात्म मशहूरहै,____ शहरपालितानेसे दखनकीतर्फ शत्रुजयपहाडएककोशकफासलेपरशुरुहोताहै, छोटेबडेतीनहजारजैनश्वेतांबरमंदिर इसपरबनेहुवेजिसनेइसतीर्थकी जियारतकिइमकसद दोंनोंजहानकापाया. शहरपालितानेसें शत्रुजयपहाडकीतराइतक सडकपक्कीबनीहुइ-दोंनोतर्फबडे बडेगुलजारपेंड औरटख्तलगेहुवेहै, सवारीइक्का-बगी-जोचाहोमिल सकेगी. पैदलजानेवालेपैदलजाय कोइतकलीफ-न-होगी. यात्रीयोंकाहरवख्तमेलायहांबनारहताहै. जिसमेंकातिकऔरचैतकीपुनमकों ज्यादहहोताहै. शहरपालितानेसे पहाडशत्रुजयकोंजाते-अवल पुरानीतलहटी-चौइसतीर्थंकरोके चरण-और--पकीवनीहुइ छत्री मिलेगी, इसकेदर्शनकरके आगेकोंचलनाचाहिये. थोडीदूरपर शेठ भूषणदास सुरतवालोकी बनाइहुइ निहायतखुशगवार पानीकी वावडीऔर चरणपादुकाकी एकछत्रीआती है, इसकोंरानावावडीभी बोलते है, आगेइसके पहाडकीदामनमें खासतलहटी-उमदाधर्मशाला-दोछत्रीयें-बगीचा-मीठेपानीकीवावडी--चारउमदा उमदाबेंठके-जिसपरकरीव पांचपांचसोआदमी-ब-खूबी-बेठसकते है, बडी रपत्रक जगह है,
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