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तवारिख - तीर्थ-शत्रुंजय.
धिष्टिर - अर्जून- भीमसेन - सहदेव - और - नकुल- ये पांचपांडवजोकि दुनियामॅबडेबहादुरहुवे इसपहाडपरबडेबडे - खूबसुरतमंदिर औरमूर्ते तामीरकरवाई. प्रद्युम्नकुमार औरशवकुमारइसीतीर्थपर आनकरमुक्तिकोंपाये, थावचाकुमार और शैलकराजर्षिने - यहां ध्यानसमाधि fariरमोक्षकोंगये, जाली - मयाली - उवयाली और देवकीजी के छल डकेइसी पहाडपर अनशनकरकेमुक्तिमें कायम - व - दायमहुवे, रामचंइजीकों-पांडवोंकों-औरकृष्नजीकों वैदिकमजहबत्राले - उनकेमजहबकेप्रवर्तक-व- नायबबतलाते है औरजैनकिताबों की रुसे- ये - महाशय जैनीथे, छत्रपतिसंप्रतिने इस पहाडपर बडे किमतीमंदिर और मू तामीरकरवाई. विक्रमसंवत् (१०८) में मुल्ककाश्मिरके व्यापारी जावडश(हने इसपहाडपर बडेआलिशानमंदिर औरमूर्त्तेबनवाई और पुराने मंदिरों की मरम्मत किर. छत्रपतिराजाकुमारपालके - दिवानबाहडमंत्रीने ( २५७००००० ) दोकरोडसतावनलाख रुपये खर्च करके इसपहाडपर वेंस किमती मंदिरतामीर करवाये और खूबसुरतमृर्त्तेतख्तनशीन कि. संवत् (१३७१ ) समराशाह ओशवाल जिसका सिताराबुलंदथा वडेवडेपुख्तामंदिर औरमूर्तेइसपहाडपर बनवा. संवत् ( १५७८ ) में कर्माशाहशेठ जिसका मुवारकनाम आजतकमशहुर है इस पहाडपरआनकर बुलंदशिखरवंदमंदिर औरतीर्थंकररिषभदेवभगवान्की आलिशानमूर्त्तिबनवाई और एककरोडसेंज्यादहरुपये खर्च किये, क्या ! उमदाकारिगरी - शिखर - और - गुंबजकाकाम - आलि शानचौक औरघेराव - देखकर मानींदो गर्दा आस्माननजर आता है, तमाम हिंदमें जितनी जैनमूर्त्ति है मगरइसकीसानी एकभी नहि. कर्माशाह शेठकी कहांत कतारी फकरे कि - जिनोने अपनेलियेदरवजा बहिस्तका खौल दिया, खुशनसीबहोतोऐसेहो. इसतीर्थपरवडेबडेसोलह उद्धार हुबे, अखीरका उद्धारही कर्माशाहशेठने करवाया.
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