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________________ तवारिख-तीर्थ-शत्रुजय. (५९) जिसकेखानेसे आदमीवेशुमार ताकतवालाहोसकताथा, शैर-भालु तेंदुए-वगेराजानवर यहांहरवख्तरहाकरतेथे, अबभी चीतावगेरा यहांनजरआतेहै, जवाहिरात और मुन्नेकी-खानयहाँपर मौजूदी, मौर-तोते-कोयल-मेना-चीडियावगेरा तरह तरह के परीदयहां दख्तोंपरकलोले करतेरहतेहै, तरहतरहकीवनास्पति यहांपरखडी है, पानीकेहौज-वा-फुवारेयहांपर हमेशांतयार-च-पाकवनेरहते है, कहांतकवयानकरे मानींदेसेब-बहिस्तहै. ___ वडेवडेमहर्षियोंने यहांपर ध्यानसमाधिकिइ, पेस्तरके जमाने में पहाड बडालंबा चौडाथा-आजदिनपरदिन कमहोगया. मगरवारह कोशकेधैरमें अबभीहै, शत्रुजयनदी पहाडकी दामनमेंहमेशा वहती है. नमि-विनमिविद्याधर इसतीर्थपर मुक्तिपाये. तीर्थकरअजितनाथमहाराज इसतीर्थपर वारीशके चारमहिनेठहरे और धर्मकों रौशनकिया, दंडवीर्यराजा जोकि-भरतचक्रवर्तीकी आठमीगदीपर तख्तनशीनथा, इसतीर्थपर बडेबडेआलिशानमंदिर मूर्त्तवनवाइ, और पुरानेमंदिरोंकी मरम्मतकरवाइ, सगरचक्रवर्तीने बडेसंगीन मंदिरऔर खूबसुरतमूर्तेयहांपरतख्तनशीनकिइ. जमानेतीर्थकरचंदाप्रभुकेचंद्रयशाराजाने यहांबडीलागतमंदिर तामीरकरवाये. और धर्मकी निहायततरकीकिइ. तीर्थकरशांतिनाथमहाराजने इसपहाडपरचारमहिनेगुजारे, औरधर्मकोरवनकदिइ, छत्रपतिचक्रायुधराजाने यहांबडेआलिशानमंदिर औरमूर्तेजसीमवनवाइ,-और पुरानेमदिरोंकोमरम्मतकिया, रामचंद्रजीऔरल छमनजी जोकि-अयोध्याकेतख्त परवडेमशहूर औरमारुफहुवेइसपहाडपर उनोनेबडीलागतके मंदिर बनवाये, औरजिनेंद्रोंकीमूर्त्ततामीरकिइ. पुरानेमंदिरोंकी मरम्मत औरवेंशुमार दौलतसर्फकिइ. चंदराजा-जोकि-आमापुरीकाछत्रपति राजाथा इसीपहाडपर सूरजकुंडकेजलसेंस्नानकरके तंदुरस्तहुवा. यु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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