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________________ ( ५६ ) तवारिख-तीर्थ-शत्रुजय. वेटावेटीकेविवाहमें हजारोरुपये बरबादकिये, धर्मपरएककोडीभीनही दिइगइ, क्या ! इसीपरघमंडकरतेहोकि-हमनेवहुतकुछधर्म करदिया. तीर्थमें आपसकाझगडा करनावेंकारहै. आफतकीभरीवात घरपरचलायाकरो, यहांतीर्थकीजगहहै इसमें आनकर इबादतकरो, खैरात दो ! गरीब और रोटीयोंके मोहताजोपर रहमकरो, तुमारेपासबहुत कुछरुपयेपैसे हानिरहै-फिर ! क्यों ! मुमबनतेहो ? क्या ! दौलत तुमारेशाथचलेगी ? देखलो ! किसकदर खुशनसीबोंने तीर्थों मेंआनकरदौलत सर्फकिइ है ? तुमकोपांचरुपयेदेते दर्दहोताहै, बडीशर्मकीबातहै. अछेखानदानहोकर दलेरनहीवनते, तीर्थों में आनकर कुछ दिनकयामकरो, औरजलदीमतकरो, तमाममंदिरोंकी और तीर्थीकी जियारतकरो, अगरतुमको यहांपर कोइवेंमुनासिव बातकहे उसपर गुस्सामतकरो, तुमतीर्थमेंआयहो, डूबतेकोंतिनखाभी सहारा ताहै नेकवक्षोकों चुपरहनाहीवेहत्तरहै, इबादतकीजगह तकरारकरना कोई जरुरतनहीं, जिसनेधर्मकीजगह वेइमानीकिइ उसनेआलादर्जे की गलतीकिइ, अपनेदहीको कोइखटानहीकहता, मगरतारीफहै उनकी जोअपनीभूलकों कुबुलकरे. तकदीरकेआगे ततबीरनहीचलती, मगर धर्मउसवख्तभी फायदेमंद होताहै, तीथभेजाकर अगरदंगाफिसाद कियातोजियारतका बदमजाकरदिया, आखरकारधर्महीका वेडापार है, अगरतुमने तीर्थमंजाकर लडाइलडीतो कुछनहीं किया, बल्कि ! जियारतकों पायमालकिइ, रुके उससेरुकिये--और--झुके उससेझुकिये, इसवातकों यादकरो ! जोअपनेसेनेकीकरे, उससे अकडमिजाज मत रहो. हमेशां खुशमिजाज होकर धर्मकरो, चाहेकोइकेसाही शैरआदमीहो-मगरजहांखर्चका कामआनपडे सियारवनजाताहै, औरकहताहै हमपरक्यासितमगुजरा, मगरयहखूबसमझोकि-दौलततकदीरकीदासी है, एकवागकेदोफल कहांइमली औरकहांआम ! एकआस्मानकेदो-सितारे-कहां मर्य-और चांद ! ! अगरतुमारी तकदीर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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