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________________ AAP तवारिख-तीर्थ-शत्रुजय. (५५) Re- [ तालीम-धर्मशास्त्र,-] तुम इसवख्त तीर्थमेआयहो धर्मपरसाबीतकदमरहो, गेरजगहकाकियाहुवापाप तीर्थमें छुटसकताहे, मगरतीर्थमेकियाहुवा निकाचितपापहर्गिज! नहीछुटसकता. तीर्थमानकरइश्क-और-मोहब्बतसे परहेजकरो, तायेउमर दुनियादारीके झगडोमें फसेरहे-अबमुस्तीरफाकरो. औरधर्मपर कोशिशकरो, जिससेतुमारा बेंडापार हो, तीर्थमें आनकर बुरेकामोंकी गुफतगु मतकरो जिससेतुमारीरुह दोजककी सफरकरे, शास्त्रोंकाफरमाना दुरुस्त औरसहीसमझो, इस परशक मतलाओ, खयालकरो ! दुनियाकेकामोंसें तुमकिसकदर हेरानपरेशानहुवे,---इसवख्ततीर्थमेंआयेहो-ऐसामतकरोकि-बेरंगरह जाओ. देवगुरु धर्मकाहमेशां एहसानमानो, बदौलतजिसकी तुमने मनुष्यका चौलापाया उसकोमतभुलो, हमउसको खुशनसीब समझते है-जो-धर्मकों तरकीदे. यहखूबयादरखोकि--धर्महीदुनियामें उमदाचीजहै, तकदीरउसीकी खूबसुरतहै-जो-धर्मकीवढवारीकरे, जवानीचलीगइ, मगरक्याकसुरहै उसका ? जवानीकिसीकी कदीमहोकरनहीरही. धर्महीतुमारा कदीमीदोस्तहै. तीर्थमेंआनकर रहमकरो, जिससेआईदे तुमाराभलाहो, तीर्थमेंआनकर पर्देकोरुकसतदो, तकसरऔर हुजतमतकरो, एकतोकडुआकरेला और दूसरानीबका असर, फिरतोक्याकहना ! हजारवातकीएकबात, तीर्थमेंआनकर नेकीकरो, और इसबातपर शुकरगुजारोकि-तीर्थकीजियारततुमकों नियामतहुइ. पूजाकरनेकाढंग तुमकोयाद-न-हो-तो-ब-जरीयेकिताबके अपना कामचलाओ, यादरखो ! जवानीजमाखर्चसे कुछकाम न-चलेगा, तबीयत नादुरस्तका बहानालेकर धर्मकोंमतछोडो, जिसकोतुम अपनासमझतेहो-वहीं-गानाहै. गाफिलमलवनो, यादरहे ! किस्मतकी कमनसीवीपर किसीकामिजाज नहींचलता, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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