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________________ ( ५२ ) तवारिख-तीर्थ-शत्रुजय. . तांवरश्रावकलोग आबादहै, जैनश्वेतांवरमंदिर औरबहुतबडीआलिशानधर्मशाला एक-जैनश्वेतांवरश्राविका-श्रीमती-पुरीवाइकीतामीर किइहुइ यहांपरमौजूद है. यात्रीलोग इसमेंकयामकरे आरामकीजगह है,-लींमडीराज्य काठियावाडके दुसरेदरजेके राज्योंमेसें एकदेशीराज्यहै, महाराजलींमडी झालाराजपुतकहलातेहै उमदाराज्यमहेलअस्पताल-और-कच-हरीयहांपर बडीलागतकमकानहै, लींमडी राज्यकी जमीनसपाट-और एकछोटीनदी इसमेंवहतीहै, रुइ और अनाजकी पैदायशज्यादह और लोग मिलनसार है. लींमडीसे रैलमेंसवारहोकर-चुडा-रानपुर-कुंडली-बोटाद-उजलवाव-धोलाजंकशन-और-सनोसरा होतेहुवे-सोनगढटेशनजाना रैलकिराया एकरुपया,-टेशनसोनगढपर जैनश्वेतांवर यात्रीयोकों ठहरनेकेलिये धर्मशालाबनीहुइ-ठहरनाहो-एकरात-यहांठहरे-यातीर्थशत्रुजयको जानेकेलियेआगेकों रवानाहोवे,-तीर्थशत्रुजय-यहांसें करीव (७) कोशकेफासलेपरहै, और इक्का-बगी-बेलगाडी वगेरा सवारी तयार मिलती है, [तवारिख-तीर्थ शत्रुजय, ] (करीबशहेरपालीताना-जिले-काठियावाड-मुल्कसौराष्ट) - - मुल्क-सौराष्ट्र-पेस्तरवडेघेरेमें आवादथा. झालावाड-गोहलवाड-सौराष्ट्रप्रदेश और हालारइसीके भीतरहै,-सोनगढटेशनसे(७) कोशदूरपलिताना एकगुलजारशहरहै, तीर्थकरमहावीरस्वामीके निर्वाणहुवेवाद (४६७)-और-विक्रमसंवतके (३) वर्ष पेस्तरजैनधमके बडेआलिमः पादलिप्ताचार्य-यहांपधारेथे. जबसें शहरपालिताना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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