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तवारिख-तीर्थ-शत्रुजय. ( ५३ ) आवादहुवा, पेस्तरयहांआदि पुरशहरआवादथा, व-सबबतीर्थ भूमिकेयहां हरवख्तरवनक बनीरहती है, कोइदिनऐसा-नहोगा-जो-यहां यात्री-न-आयेहो. सन (१८९१) की मर्दुमशुमारीकेवख्त पालितानेकी मर्दुमशुमारी (१०४४२) मनुष्योंकीथी. जैनश्वेतांवरश्रावकोके घरकरीव (५००) पैदाश-रुइ-और अनानकी ज्यादहहोती है, दिवानी-फौजदारी महकमे यहाँपर बनेहुवे है, पालितानेकेनीचे एकनदी हमेशांबहती है, शहरमें जैनश्वेतांवरमंदिर (३) सबसेबडा तीर्थकररिषभदेवभगवानका-दूसरा गोडीपार्श्वनाथजीका, नयेपुरेमे पासमोतीकडीयाकी धर्मशालाके और बहारशहरके तलहटीके रास्तेपर तीसरा बाबुमाधवलालजीजहोरी कलकत्तेवालोंका, तीनोमंदिर शिखरवंद बडीलागतकेवने हुवे है, दर्शनकरके दिलखुशहोगा, कारखाना आनंदनी कल्यानजी-जोकि-तीर्थ-शत्रुजयका एकखजानाहै, मुनीम-गुमास्ते-नोकर-चाकर--घंटा-घडियाल-चौकीपहरा-और--चपरासी वगेरा सवठाठ शाहानावनाहुवा, नोबतखाना यहांपरदिनमें चारदफे वजताहै. और हमेशां अमनचैनवनाहै, पालितानेका बडाबाजार राजमहेलसेंलेकर मांडवी-और आगेशजयदरवजेके बहारतकचला गया, खानपानकीचीजें-मेवा-मिठाइ-पुरी-कचौरी-आटा-दाल-घी दुध-जितनाचाहेलेलो ! सोना-चांदी-कपडा-फल-फुल-सबचीजें यहांपरमिलती है. जोकोइयात्री यहांआताहै आरम-और-चैनपाता है. धर्मशाला यहांपर कइवनी है,
१, सबसे बडीधर्मशाला शेठ मोतीशाहकी. २, दूसरी हेमामाइशेटकी. ३, तीसरी हठीभाइशेठकी. ४, चौथी मोतीकडियाकी, जोकिं-हेमामाइशेठका कारकुनथा, ५, पांचवी राधनपुरवाले मशालियाकी. ६, छठी मुरतवाले डाह्याभाइ-भूपणशाहकी.
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