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(४८) दरवयान-खंभात-और-अहमदाबाद. मौजूदहै खुशनसीबोंने किसकदरइल्मकी तरक्कीकिइथी ! आजउसकी हिफाजतहोनादुसवारहोगया,लकडीऔरपथरकाकामयहांकामुल्कोमें मशहूरहै. अमल्दारीयहांपर नवाबसाहबकी-शाहिमकान बडीलागतके बनहुवे बाजारवडीरवन्नकका-और-उसमें जिसचीजकीदरकारहो मिलसकती है, हमने शहरखंभातकों देखाहै, यात्रीयोंकों ठहरनेकेलिये धर्मशालाबनीहुइहै. कोइतकलीफ-नहोगी, खंभातसेंजहाजमें सवार होकर समुंदरकेरास्ते--कावी-गंधारतीर्थकोंजाय, जोकरीव--सात कोशकेफासलेपरहै, कावी-औरगंधार-दोनोंअलगअलग कस्बे है मगरवसवब तीर्थकएकहीनामसेमशहूरहै, दोनोमेंबडेबडे कीमतीमदिर बनेहुवे-एकमेंतीर्थकर रिषभदेव-और एकमतीर्थकर धर्मनाथजीकी मूर्ति-तख्तनशीनहै, गंधारमें अमीझरा-पार्श्वनाथजीकी मूर्ति निहायतखुबसुरत-दर्शनकरके दिलखुशहोगा, धर्मशाला दोनोजगह बनीहुइ-यात्री-इनमेंकयामकरे-और-तीर्थकी जियारतहासिलकरे, कावी-गंधारमें कोइजैनश्वेतांवरश्रावकनही. खंभातकेजैन श्वेतांवरश्रावक इसतीर्थकी निगरानीरखतेहै, कावी-गंधारसेंफिर उसीसमुंदरके रास्तेखंभातआवे और खंभातसें रैल सवार होकर-सयामा-तारापुर नार-पेटलाद-आगास-आनंद-बोरीआवी-नडियाद -महम्मदाबाद -और-बारजाहोतेहुवे शहर अहमदावादको जाय, रैलकिराया दश आने नव पाइ.
बयान-शहर--अहमदाबाद, बंबइहातेमें मुल्कगुजरातका शिरोताज साबरमतीके वायेकनारे अहमदाबाद एकगुलजारशहरहै,-वंबइके कुलावेटेशनसे ( ३१०) मील उत्तर-अहमदाबाद-जंकशन-वडीलागतका बनाहुवा-झलाझल दौलत-रंगरौशनकियेहुवेमकान-और-खूबसुरत-कमालहुस्न
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