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तवारिख-अश्वावबोध-और-शकुनिकाविहार. (४५), ना-और-होलांडवालोंकी पुरानीकोठीवनीहुइहै, नर्मदाकीचौडाइ भरुअछकेपासकरीब (१) मील-औरउसपरकींमतिपुलतामीर है, कइजगहकेपुल अपनीनजरसेदेखेगये भगरयहपुलभी-हिंदमें-एक नामीग्रामी है, अमरकंटकके पाससेनिकसकरनर्मदा मध्यहिंदमहोती हुइ (७२०) मील-बहकर-भरुअलसे (३०) मीलपश्चिमकों जाकरसमुंदरकोमिली,
सन (६०) इस्वीसे (२१० ) इस्वीतक भरुअछमें जैनराजोंकाराज्यथा, चीनामुसाफिर हवांक्तसांग-जोकि-सन (६२९) इस्वीसें (६४५) तकाहिंदौरहाथा अपनेसफरनामें बयानकियाहै मैने-भरुअछशहरकों देखा, उसवख्त बौधोकीभीवहां आबादीथी, और कड़बौधमंदिरथे, सन (७४६ ) इस्वीसें-सन (१२९७ ) इम्वीतक भरुअछ-अणहिल्लपुरपटनके राजपुतराजोके तावेमें रहा. वाद मुसल्मानोंकी अमल्दारीकेवख्त उनकीअमलदारीभी यहांहुइ, जमानेहाल सरकारअंग्रेजवहादूरकी अमल्दारी यहांपरजारीहै, वडे बडेमकान-और-बाजार-निहायतलंबा-तरहतरहकी दुकाने और जिसचीजकी दरकारहो-यहांपर-मिलसकती है, जैनोकी आबादी करीव ( ५०० ) मनुष्योंकी-और-महोले-श्रीमालीमें-तीर्थकरमुनि सुव्रतस्वामीका निहायतउमदा और शिखरवंदमंदिरतामीरहै, और तीर्थकरमुनि मुव्रतस्वामीकी-अतिशययुक्तमूर्ति-उसमें तख्तनशीन है. एकमंदिरपुरेमे और कइश्रावकवहांआवादहै, जैनश्वेतांबरयात्रीयोकेलिये एकधर्मशाला-श्रीमालीमहोलेमें बनीहुइहै, जोकोइजैनयात्री-इसतीर्थकी जियारतकरनाचाहे शौखसेकरे, कोइतकलीफ-नहोगी,-जिलेभरुअछमें इसवख्तजवान गुजरातीबोलीजातीहै,-कौशांवीकारहनेवाला धवलशेठ-पांचसोजहाज लेकरभरुअछसेसमुंदरके रास्ते मुकदखनकी मुसाफरीकोंगयाथा, बडेबडेआश्चर्योकी भूमि-भ
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