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(४४ ) तवारिख-अश्वावबोध-और-शकुनिकाविहार. पार्श्वनाथजीकेपीछे-तीर्थकरमहावीरस्वामी और वादउनके निर्वाण होनेके (४७० ) पीछेविक्रमसंवत् जारीहुवा, बडेबडेखुशनसीवइस तीर्थकीतरकी और मरम्मतकरतेचलेआये. मंत्रविद्याके-चक्रवर्तीजैनाचार्य-श्रीमत्-रखपुटाचार्यमहाराज-जवभरुअछमें पधारेथेमंत्रबलसें बडेबडेचमत्कार उनोनेयहाँदिखलायेथे, आवश्यकमूत्रके अवल अध्ययनमें उनकावयानदर्ज है,-जमाने-राजा-कुमारपालके-जैनाचार्य-हेमचंद्राचार्यभी भरुअछमपधारेथे. उसवख्तएक-मिथ्यादृष्टिसैधवादेवी-जोकि-यात्रीको तकलीफदेतीथी, हेमचंद्रमूरिजीने मंत्र बलसे उसको हठादिइ. बडेबडे आश्चर्योकी भूमि-भरुअछतीर्थ-निहायतपुरानीजगहहै, कहांतकवयानकरे ! जिसकेवडेभाग्यहो-इसतीर्थकी जियारतकरे, कइदफेतुम भरुअछकेरास्ते बंबइगयेआये, मगर ताज्जुवकीवातहै भरुनछतीर्थकी जियारत-नहि-किइ, पुनासिबहै अगर मौकावनेतो जरुरइसतीर्थकी जियारतहासिलकरना. हमने इसतीर्थकी जियारतकिइहै. अश्वावबोध-और-शकुनिका विहारके पुरानेमंदिर अवनहीरहे, मगरतीर्थकर मुनिमुव्रतस्वामीका अतिशय युक्त-मंदिर अवभी मौजूद है. .
जमानेहालमें-वंबइकुलावाटशनसें (२०४) मील-उत्तर, और बडोदाटेशनसे (४४) मील-दरखन-नर्मदाकनारे जिलेकासदर मुकामभरुअछशहर अबभीरवन्नकलिये है. सन (१८९१) इस्वीकी मर्दुम-शुमारीकेवख्त-भरुअछकीमर्दुमशुमारी (४०१६८) मनुष्योंकीथी, भरुअछकीचारोतर्फ पेस्तरपुख्ताकोट वनाहुवाथा उसका कुछहिस्सा दखनकीतर्फअबभीमौजूदहै, करीब (१) मीललंबीऔर (३०) फुटऊंचीपथरकीदिवार अबभीमजबूतबनी हुइहै,-नर्मदाके पास-पहाडीपरएकपुरानाकिलाकि-जिसमें--अस्पताल-गिर्जाघरस्कुल-म्युनसीपलऔफिस-लाइन्नेरी--जिलेकीकचहरीयां-जैलखा
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