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________________ ( ३६) वयान-मुरत. हुवा एकपुख्ताकिल्लाकि-जिसकीदिवार आठफूटचौडी और चारो तर्फ उमदागुंबज बनेहुवे है, विक्टोरियावाग एकदेखनेकीजगहहै, दिल्लीजानेकी सडककेनजदीक (८०) फूट उंचा घंटाघरसन (१८७१) का तामीरकियाहुवा-जिसकी-अवाजदूरदृरतकजाती है इसपरचढकरदेखोतो तमामसुरतशहर दिग्वपडताहै, हाइस्कुल-खेरातीअस्पताल-और-रुइकेकइकल-कारखानेवडेकींमतीवनेहुवे है, सडकोंपर रातकोंलालटेनोंमें झलाझलरौशनी, चंदनकीलकडीपर सुरतका नकासीकाम मुल्को मशहर-और (३६) रुपयेभरका सैर यहांपर जारी है. तापीनदीकापुल (१७) खंभोपर वनाहुवा निहायतपुख्ता, सतपुडेपहाडसे निकसकर नापीनदी ननदीकमुरतके (१४) मील पश्चिमकोंजाकर-ग्वंभातकीखाडीमें गीरी, मुरतजिलेके जंगलों में तंदुवे-भालु-मुअर-और-भंडिये वगेरा बहुतसेंजानवर रहाकरतेहै सन (१३४७) इस्वी महम्मदतुगलककी फौजने सुरतकों फतेहकिया, सन (१३७३) इस्वी में फिरोजशाह तुगलकने सुरतमें एककिल्ला तामीरकरवाया, उसवख्त तिजारतकी वडीतरक्कीथी. सन (१५७३) इस्त्रीमें बादशाह अखबरने सुरतकों फतेहकिया, जहांगीर और शाहजहांकी अमल्दारीकेवख्त सुरत अछीरवनकपररहा, पोर्तुगालवाले सुरतमें तिजारत करतेथे तवारिखोसे जाहिरहै, होलांडवालोकीकोठी सन (१६१६) इस्वीमें यहांपरवनी. सन (१६६८) में फ्रांसवालोकीभी कोठीवनी. सन (१८००) इस्वीके करीब सुरत और-कस्वा-रांदर अंग्रेजसरकारके इख्तियारमेंआया. सन [१८३७) इस्वी सुरतमें बडीमारीआगलगी, जिसमें कइमकानात जलगये, कहते है [१०] मीलतक आग उसवख्त फैलगइथी, तापीनदीकी बाढभी उसीसालम मुरतपर फिरगइ, जिससेबहुतनुकशान लोगोंकाहुवा, और कइसोदागिर उसवख्त मुरतकों छोडकर बंबइकों चलेगये, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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