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________________ वयान- सुरत. ( ३५ ) इहै, व सववपैदाशके लोगयहां रहना पसंद करते है, जहां पैदाशज्यादहहो - एशआरामकीचीजे भी वहां ज्यादहहोती है, - कइतरहके डेली - सप्ताहिक - और -मंथली अखवार यहां से जारी होते है, हरमुल्ककेमुसाफिर यहां आते और जाते है. कोइरौजएसा - न होगा जिस रौज दसपन रांह हजारमुसाफिर बंबई में न आयेगयेहो, -दूसरेशहरमें कमदेखोगे, - राज्य अंग्रेजसरकारका - और - इन्साफीकानुन जारी है, - कोइकिसीकों तकलीफनहीदे सकता, अपने अपने मकान में सव लोगचैनकररहे है. जोशख्शवं इसे खानाहोकर हिंद जैनतीर्थोंकी जियारत करना चाहे इसरास्तेचलकरकरे. वइसे वी - बी-सी - आइ रैलके - जरीये - कुलावा - चर्चगेट- मरीनलाइन - चरनीरोड-प्रांटरोडमहालक्ष्मी - परेल- एलफीस्टन रोड- दादर- माटुंगा रोड-माहिम-बांद रा-शांताक्रुज - अंदेरी-गोरेगांव - मालाड - बोरविली-भायंदर-वसइरोड - नलसोपारा - वीरार - सोपाला - पालघर - बोइसर - वानगांव देहणुंरोड - घोलवड - वेवजी - संजान - भीलाइ दमणरोड - उदवाडा पारडी - वलसाड - डुंगरी - विल्लीमोरा - अमलसार-- बेडछा - नवसारी मरोली-और- सचीन होतेहुवे सुरतजाय, रैलकिराया दो -- रुपये - तीन आने बयान सुरत, कुलावाटेशनसें (१६७) मील उत्तर - और - भरुअछसे ( ३७ ) मीलखनकों तापीवायेकनारे समुंदरसे (१०) मीलपूरवजिलेका सदरमुकाम सुरतशहर एकगुलजारवस्ती है, सन (१८९१ ) की म दुमशुमारी केवख्त फौजीछावनीकों मिलाकर सुरतकी आबादी (१०९२२९) मनुष्यों की थी, टेशनकेपास एकसरकारीसराय वनी हुई जिसमें मुसाफिरलोग व खूबीकया मकरे. मकानवडे आलिशान और रंगरौशन कियेहुवे तापीकनारे सन (१५५० ) इस्वीकावना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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