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( ३४ ) तवारिख-शहर-वंबइ. सीकेकरीवमें तीर्थंकर महावीरस्वामीका इसमें तीर्थंकरमहावीरस्वामीकीमूर्ति जायेनशीनहै, कइतीर्थोकेनकशे और काम शंगेमर्मरपथरका लाइकतारीफके वनाहुवाहै, तीसरामंदिर रिषभदेवमहाराजका, इसमें तीर्थकर रिषभदेव-भगवान की मूर्ति-तख्तनशीनहै, मारवाडीश्रावकोंकी आमदरफत इसमेंज्यादह-और-ये-तीनोमंदिर एकलाइनमें बनेहुवे है, चौथामंदिर तीर्थकर शांतिनाथजीका भींडीवाजारके कौनेपर--शंगमर्मरपथरका निहायत उमदाकाम और तरहतरहके चित्र इसमेंकायम औरवरपाहै. पांचवा-मंदिर भीडीवाजारमें तीर्थंकर नेमनाथजीका-छठा-चिंतामनपार्श्वनाथजीका--सातमा शांतिनाथजीकाकोटमें, दोमंदिर मांडवीवंदरपर इनमें कछीश्रावकोंकाआनाजानाज्यादहहै, तीनवालकेश्वरमें, एकभाइखल्लेमें और कोलाबेमें, इसतरह बडीलागतकेवनेहुवे मंदिरमौजूदहै, हरजैनश्वेतांवर यात्रीकोलाजिमहै वंबइमेंकदमरखेंतो इनमंदिरों के दर्शनजरुरकरे, वंवइके जैनश्वेतांबरमंदिरोंकी कहांतकतारीफकरे ! एकसेएकवढकरहै, लालबागमें नयाउपाश्रय और एकमंदिर बतौरचैत्यालयके तामीर हुवाहै,__ जैनबुकसेलर-श्रावक-भीमसी-माणककी औफीस-मांडवीबंदर शाकगलीकेनाकेपर बनीहुइ जिसमेंतरहतरहके जैनपुस्तक वीक्रीसें मिलते है, सबसेबडाबुकसेलर हिंदमेंयहीनाम है, इनकेमकानपरउनके नामकासाइनबोर्ड लगाहुवा-जिनकों जैनपुस्तकोंकी दरकारहो-जा कर-लेआवे, जैनश्वेतांवरलाइब्रेरी--बोर्डिंगहाउस-और--स्कुलवाव पंनालालजी-पूरनचंदजी-जहोरीका-कीमतीमकानहै, तमामहिंदके जैनश्वेतांबरश्रावक बंवमेंआबादहै, पैदाशअछीहोनेसें सबलोगमुखी और-धर्मकेपायवंद, मगर मकानकीनिहायततंगी-छोटीछोटी कोठरीयोंमें लोगअपना गुजरकरतेहै, किरायाज्यादे औरजगहकीकोता
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