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( २६ ) दरवयान-अष्टांगनिमित्त. शनकरे-रुपया-महोर-जैसीताकातहो-भेटरखे. औरफिर उपाश्रयमें जाकर गुरुमहाराजके मुखले मंगलीकस्तोत्र मुने,-और उनके सामनेभी भेटरखे. गुरुलोगद्रव्यके त्यागीहोतेहै उसचढेहुवेद्रव्यकों अपनेकाममें-न-लेव. ज्ञानदृद्धिके काममेलगवादेवे. ___ -[ दरबयान-अष्टांगनिमित्त, ]
सफरकेवख्त मर्दका दाहनाअंग-ओर-औरतका वायाअंगफुरकना अछाहै, सफरजानेके पेस्तर ख्वावमें तीर्थंकरोंकीमूर्ति-निग्रंथमुनि-और-तीर्थभूमि दिखाइदे-तो-समझलो ! तीर्थयात्राजरुर होगी. सफरके-वख्त-पडज--रिषभ-गंधार-मध्यम--और-पंचम स्वरकी अवाज-मुनाइदे-तो-अछाहै, मगर स्वरकीअवाज पहिचानना-अकलकेताल्लुकहै. हरशख्शकों अपनीस्वाभाविकअवाज किस स्वरमें निकलती है इसकीपहिचान सीखनाचाहिये. सफरकेवख्त तोतेकीअवाज वायीतर्फसुनाइदेना फायदेमंदहै, घरकोआते दाहनी तर्फ सुनाइदे--तो--अछा, सफरकेवख्त तोताउडकर सामनेआवे निहायत उमदाहै, मगर रोतीअवाजकेशाथ सामने आनगिरनाअछा नही, सफरकेवख्त जिसकाघोडा हनहनाटकरे-या-दाहनेपावसे जमीनकोउकेरे अलाहै, सवारकी फतेहहोगी. सफरकेवख्त मौरकी
अवाजमुनाइदे-या-नाचताहुवा दिखाइदे-निहायतउमदाहै, सफरके . वख्त चकोरकी अवाजमुनाइटेना-या-खुद-चकोर नजरआजाना अछाहै,भारद्वाजपरीद-जिसकों लोग रुपारेलबोलतेहै उसकी अवाजमीचकोरकीतरहअछीहोतीहै, जिसमुल्कमें भूकंपहो-वहां-समझलो! एकतरहका उत्पातहोगा. जिसशहरकेदरवजेपर-या-देवमंदीरपर विजलीगिरे वहांटंटेझगडे फैलेगे. जहाँदेवमूर्ति हसतीहुइदिखाइदेवहां-आदमीयोंकोंकुछखौफहोगा. जहांदिवापरबनीहुइ चित्रामकी पुतली-हसतीहुइदिखाइदे-भूकुटीचबाकरगुस्साकरे-या-रोतीहुइदि
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