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बयान-शकुन-शास्त्र.
(२५)
____ चंद्रस्वरचलते दखन-पश्चिमदिशातर्फ जाना अछा, पूरवउत्तरकों मूर्यस्वरमेजानाठीक, लडाइदंगेकेलिये-या-अदालतमें जानातो मूर्यस्वरमें ठीकहै, बाकीके कामकों चंद्रस्वरमें जानाअछा, चंद्रस्वर अमृतनाडी है, योगशास्त्र-विवेकमार्तडरहस्य-और-कपूरचंदजीकृतस्वरोदयज्ञान-किताब देखो, उसमेंसबहाल रौशनहै, जवचंद्रम्वर चलताहो बायीतर्फ जोजोशकुन होगें पूर्णफल देगे, और मूर्यस्वरमें दाहनीतर्फ जितनेशकुनहोगें अछाफलकरेगें, रिक्तस्वरमें अछेशकुन कमजोरहोजाते है और पूर्णस्वरमें कमजोरशकुनभी ताकतवरहोतेहै, घरसेचले और तुर्तहीअछेशकुनहुवे तो समझलो, तुतही फायदाहोगा, कोशदोशगयेबाद अछशकुनहुवेतो दैरसें फायदा होगा, शकुनशास्त्रका फरमानहै घर-या-गांवकेनजदीकके शकुन असलीशकुन है, सफरकेवख्त अगर बुरेशकुनहुवे-तोभी-ठहरजाना ठीकहै. तीसरीदफे बुरेशकुनहुवे-तो-सफरकों जाना अछानही, लौटजाना चाहिये. सज्जन-शकुन-और-निमित्तज्ञानी-मनाफरमा. वे उसवख्त सफरकरना फायदेमंद-न-होगा.
शब्दशकुन उसकों कहतेहै जोसफरके वख्त बजरीयेशब्दके मुनाइदे, जैसे कोइशख्श सफरकोचला और उसवख्त दुसरा बोलरहाहै फतेह होगी, समजलो! शब्दशकुनअछेहुवे, अगरऐसासुनाकि-तुमारी तकदीर फुटीहुइहै, डुबजाओगे-खतापाओगें-तोजाननाचाहियेशब्दशकुनअछेनही हुवे,-वारसें-तिथी-बलवान-तिथीसें-नक्षत्रबलवान्--नक्षत्रसेकर्ण-कर्णसेंलग्न-लग्नसेंनिमित्त-औरनिमितसें स्वरोदयज्ञान बलवानहै, जिसमुल्ककों-या-गांवकोजाना तुमारा दिल-नहीचाहता वहांजाना फायदेमंदनहीं, क्योंकि-दिलभीएकतरहकी पुख्तासबुतीहै,-सफरजानेवालेकों लाजिमहै देवगुरुकोनमस्कारकरके सफरकरे,-जिनमंदिर जाकर जिनप्रतिमाकेद
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