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________________ बयान-शकुन-शास्त्र. (२३ ) ख्तसामनेमिलजाय तो-जानना सफरअछीहोगी, दिलकीमुराद हासिलहोगी-और-किसीतरहकी तकलीफ दरपेंश-न-होगी, कोइ किसीकाभलाबुरा नहीं करता, जितने उपरलिखे शकुनहै शुभाशुभके मूचक और घोतकहे, होना-न-होना अपनातकदीरके ताल्लुक ! सीर्फ! अच्छेशकुनहोनेसें अछा-और-बुरेहोनेसें बुराहोनेका अंदाज कियाजाताहे, अछेशकुनहोनेपर दिलको ताजगीमिलतीहै, आजकल कइलोग ऐसाकहेदेतहकि-यह-एकतरहका वहेमहै-औरहन इसवातकों वाहियान समजतेहै, मगर यह उनकी आलादर्जेकी गलतीहै, अविद्यानंदोके-न-माननेसे शकुन-ओर-निमित्त ज्ञान जूठे नही होसकते, ___ गर्भवती-रजस्वला-और-विधवाऔरत सफरकेवख्त मीलेतो-ठीकनही. अगर माता विधवाहो और सामनेमिलजायतो कोइहर्ज नही, माता वेटेकेलिये हमेशां खैरख्वाहहै, उंठ-गधे-याभैसेपर चढाहुवाआदमी सामने मिलजाय तो बेशक ! बुराहै, शकुन उसकानाम है-जो घरसे रवानाहोतेवख्त-थोडीदूरपर मिले,तमामरास्ता देखतेरहना कोइजरुरत नही. कोइरोताहुवाआदमीया-नपुंसक सफरकेवख्त सामनेमिलजाय निहायतबुराहै, गांवमें घूसतेवख्त खुद हसनागाना मनाहै, पेशवाइमें आयेहुवे हसे-यागायनकरे कोइमनानही, लेकिन ! खुद गानाहसना मनाहै, सफरकेवख्त अपनेपीछे कोइमर्द-या-औरत खालीघडालेकर जलभरनेकों जातेहो निहायत उमदाहै, जैसेवह जलभरकर घरआयगा सफरकरनेवालाभी दौलतलेकर घरआयगा, सांप-किरकांटियापल्ली-और-गोह सफरजानेवालेको आडे उतरे-तो-बुराहै. सफरजानेवालेकी वायीतर्फ भमरा आनकर गुंजारकरे-या-फुलोंकारसलेता दिखाइदे अछाहै. सफरकेवख्त मुर्गेकी अवाजमुनाइदेना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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