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वयान-शकुन-शास्त्र.
इसलिये हैकि-चतुर्विधसंघमें अबलदर्जा-उनकाहै,-श्रावक दुनियादारहै-और-एकदूसरेकी उसकों परवाहभी रहती है, इसलिये जोर देकर कैसाबोल सकेगा ? और मुनिमहाराजोकों किसीकीपरवाह नही, इसलिये जोरकेसाथ वोलसकतेहै, जो-श्रावक-जैसाकहता हैकि-आप मुनिहै आपको इसमें बोलनेकी कोइजरूरतनही, वह खुदकानुनधर्मके मुखालिफ और तीर्थकर-गणधरोंका गुनहगारहै,
ॐ [बयान-शकुनशास्त्र,] सफरकेवख्त अछेशकुन होनपर अछीसफरहोगी. यहभी शकुनशास्त्रका फरमानहै, शकुन-दो-तरहके, एक दृष्टशकुन, दूसरा शब्दशकुन, दृष्टशकुन-वहहे-जो-सफरकी शुरुआतमें नजरआवे, शब्दशकुन-वहहै-जो-अवाजके जरीये सुनाइदे, सफरकेवख्त रास्तेमें अगर जैनमुनी-उसगांवका राजा-हाथी-घोडा-मोर-बेलराजहंस-मर्दऔरतका-जोडलाघरआताहुवा-या-पदमनीऔरत मिलेतो जानना सफरअछीहोगी, जिनप्रतिमालेकर कोइआताहोऔर-सफरकेवख्त सामने मिलजायतो जानना सफरनिहायतअछी होगी, फल-फुल-गेहने आभूषन-धजा-पताका-छत्र-चवर-सोनाचांदी-रथ-पालखी-वाजा वीणा-सारंगी-तबले-सितार-मृदंग कुमारीकन्या-पक्कीरसोइकाथाल-विनाधुंएकीआग-गातीहुइसोहागन
औरतें-भैरी-शंख-आरिसा-भराहुवाघडालेकरमर्द-या-औरत-मल यागिरिचंदन-दुध-दही-घी-मीटी-गोरोचन-सहेत-मूरमा-कमलपदमनीऔरत-झारी-हथियार-पंखा-सिंहासन-जवाहिरात-अंकुश तांबा-चावल-सरसों-लडकेकोंगोदमें लेकर आतीहुइऔरत-पानबीडीहरीबनास्पति-मीठाई--धोये हुवेकपडेलेकरआताहुवाधोबी-इतरफुलेल-या-उमदावर्ण-गंध-रस-स्पर्शवाली-कोइचीजहो--सफरकेव
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