________________
नालीम-धर्मशास्त्र. ( १५ ) तपर खुशहोनाचाहियेकि-तीर्थकेसवबसे हमारी अमल्दारीकी तरक्की
और रियासतकी आवादीहै, शहरकी रवन्नक-और-रोजगारकी तेजी, सौंचो ! इससे ज्यादह और क्याबातचाहतेहो, ?--हरखुशनसीव राजेमहाराजोकों चाहिये तीर्थयात्रीयोंका लिहाज रखे,-उनकोंहरवातसें मदद करे, और इसबानपर उनकी तारीफकरेकि-दुनियाका धंदाछोडकर-ये-तीर्थों की जियारतकों आयेहै. परमेश्वरकी भक्तिमें उनकादिल रजु-न-होतातो-तीर्थों में कैसेआते, ? तीर्थके मेनेजरोंका-और-पूजारीयोंकोभी मुनासिबहै उनकीखातिर करे, ब-दौलतयात्रीयोंहीके तीर्थोंका खजाना-तर-होताहै, जिस तीर्थमें यात्रीयोंकी आमदरफत कमहै-उसतीर्थमें रवन्नक नहीरहती. कइतीर्थों में पूजारीलोग ऐसेभी देखेगयेहैकि-यात्रीयोंकी नाकमेंदम लादेतेहै, अगर रुपया पैसा-न-देवे-तो-निंदाबोलनेलगते है. तीर्थोके मेनेजरोंको लाजिमहै ऐसे पजारीयोंकी तीयामेसे रुकसतकरे, और अगर गुस्ताखी करतो-उसको कानपकड कर उसीवग्टनमंदिरसे वहारकरदेवे, वे-लोगवडेवेंसमझहै-जो--यात्रीयोंके शाथ गुस्ताखी करतेहै-और-उनका लिहाज नहीरखते, यात्रीलोग थकेहुवे-और मंजीलकरकेआये है, उनको हवातसे आरामदो, जिसचीजकी उनकों दरकारहो--उन फेसामने हाजिरकरो, यात्राकरके लौटतेवख्त अगर यात्रीकेपास रुपयेपैसेकी गुंजाशहो-तो-जिसपूजारी-या-नोकरने तुमारी खिदमतकिइहै उसको कुछइनामदेना,-चुनाचे-वे-लोग मंदिरके खजानेसें तनख्वाह बेशक : पाते है-उनका-कोइहकनहीं कि-तुमको रोककर कुछलेवे, लेकिन ! तुमारी रहमदिलीहैकि-अगर गुंजाशहो-तो-उनकों बतौर धर्मकीराहपर कुछदेना. अगर तुमारे पास रुपयेपैसेकी कुछगुंजाश नहीं है-तो-कोइजरुरतनहीं, नोकरलोग-या-पूजारी ऐसाताना-तुमकोनहीदेसकतेकि-तुमनेहमकों कुछनहीदिया, दानपुन्यकरना अपनेदिलकी खुशीकेताल्लुकहै, और
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com