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________________ (१०) हिदायत-उल-आम. थी, तुमकिसगिनतीमेंहो ? देवमंदिरमें-रागरागनीकेशाथ पूजनहो रहीहै-और-औरतोकेलिये मंदिरमें कपडेकापर्दा लगाहुवाहै, कहिये ! यहकिसधर्मशास्त्रका पाठहै, ? व्याख्यानसभामें गुरुमहाराज धर्मशास्वमुनारहेहै और-औरतोकोलिये वहांभी आधेमकानमें कपडेकापर्दा लगाहुवाहै, बतलाइये ! यहकिसधर्मशास्त्रका हुकमहै, ? हरशख्शकों लाजिमहै तीर्थयात्रामें-देवमंदिरमें और व्याख्यानसभामें पर्दा-न-रखे, मर्द औरत यात्राकेलिये चलेजाय, किसीकीराह-न-देखे, वस्तआखीरी नजदीक चलाआताहै, तीनहिस्सा उमरवीतगइ, न-मालूम डेहरा किसवख्त कुचहोजायगा, मुस्तीरफाकरो और तीर्थयात्रामें चलनेकी तयारीकरो, असलमें जोलोग वखीलहै पैसाखर्चना आलादर्जे की तकलीफसमझतेहै उनकोंकोइ समझानहींसकता. दिलके दलेरहै-वे-अपना खर्चादेकर दुसरोंकोभी शाथलेजातेहै, यहांजिसपर एहसानकरो अगलेजन्ममें वह-तुमपर-एहसानकरेगा, अगर तुम दौलतमंदहो-तो-रैलमे सेकंडक्लास-या-इंटरक्लासकी टिकीटलो, मगर मूमोकों इतना खर्च करना मुश्किलहोगा. बल्के ! कहेगे नाहक ! खर्चक्यौंकरना, ? रास्तेमें किसीअनजानशख्शके हाथका पान-या-खानामतखाओ, कइलोग अमीरों के लिवासमें बनेरहतेहे, और नसीलीज खिलाकर गाफिलकरदेते है, और फिरमजेमें उनके मालअसवावकों लेकर रफुचकरबनतेहै,-तुमने अबतक मुसाफरी किइनहीं, दुकानके गादीतकीयोंपरवेठकर पानवीडी खातेरहेहो, सफरमेवहुतहोशियारीरखनाचाहिये. अगरसफरमें तुमारेपास ज्यादहअसबाबहै-तो-उसका बंडलबनाकर तुलवालो, और टेशनपर पारसलबाबुकी सुपुर्दकरदो, अपना टीकीट उनकों दिखा कर तीसरेदर्जेका पनरासेर-ड्योढेदर्जेका वीससेर और सेकंडक्लासका चालीससेर बादकरके वाकीका किरायादेदो, और रसीद उनसे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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