________________
( ८६ )
सवाने-उमरी. * [ गुरुभक्तिपर-लावनी, .
( सवाने-उमरी )
विद्यासागर न्यायरत्न श्री शांतिविजयजी-बडेअणगार, संयमलिनो आपने छोडयो कुटुंबसब धनघरवार, भावनगर गुजरातके माही-शहरबडा भारी उत्तम, धन्यहै धरणी वहांकी जहां मुनिजी लियो है जनम, धन्य पिता मानकचंदजीको-वो चलते जिनमतको धरम, थे सतवादी जिनके पुत्र कहलाये अनुपम, धन्यवाद रलियातकवरकों-माता बुद्धिकी थी अगम, संस्कारसे आप आजन्मे उदयभये निजपूरवकरम, महाजन विशाओशवालथे-जूठवचन नही एक लगार, संयमलीनो आपने छोडयों-कुटुंबसबधनघरबार, विद्या, १ श्रीरी आत्माराममहाराज-निनोनेलिये आपको है पहिचान, दीक्षालिनी साल उन्नीस और छत्तीसपमान, वैशाखशुक्ल दसमी गुरुवारे-हुवेसंयमी चतुरसुजान, मलेरकोट पांचालमुल्कमें जानते है सब निखिलजहान, धर्मशास्त्रको पढे मुनिश्वर-व्याकरणकोशकों भारीज्ञान, सर्वशास्त्रकों आपने पृथक् पृथक् लिने सबजान, पंजाब पूरव मारवाड-गुजरात मालवाको दियोतार, संयमलीनो आपने छोडयो कुटुंब सबधनघरबार, विद्या, २ दखनमेंगये आप मुनिजी-जिनमत खूबदिपायाहै, देशदेशमें आपका सुजश बहोतसा छायाहै, मानवधर्मसंहिता एकपुस्तक-बहोतखूब फरमायाहै,
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com