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वरंगचरिउ जइ भुंज्जिज्जइ महि एयच्छत्त तो पुण जमु भक्खइ एहु गत्त। णिय-णिय सुहु वंछइ सव्वु कोवि विणु धम्में णउ पाविय सोवि। मरणहो वीहइ संसारि जीउ तोवि ण छुट्टइ जगि परमजीउ । अह किज्जइ णिव पायालि भवणु किं जीविउ रक्खइ तोवि कवणु। जाइज्जइ जइ सुरणाह सरणु तो णवि को रक्खइ जीवमरणु। जइ वज्जहो पंजरि पइसरेहि तो विण छुट्टिज्जइ कालएहि। जइ किज्जइ दुग्गमि जलहि वासु तो तित्थु जि आवइ काल पासु। अह भोयराउ हुंतउ पयंडु' किं णवि रक्खिउ जम आउ दंडु। घत्ता- इय जाणिवि धम्मसेण णिवइ वरतणु सोउ ण किज्जइ।
मणि झाइज्जइ दंसणरयणु जहि संसारु तरिज्जइ।। खंडयं- इय वयणहि मणि मण्णियं सोउ वि तहि अवगण्णिय । __जाम राउ पुणु अच्छइ अरुहक्खरइ पयच्छइ।। ४।।
5 णंदणु हरिवरु वणि गउ लेप्पिणु' गुणदेविहि यउ वयण सुणेप्पिणुः । सुय विउय अइसोयई भिण्णी हा हा हा पभणइ मणि दुण्णी' । हा विहि किं जीवंतु मरंतउ कोवि ण याणइ सुय गुणवंतउ। हा हा मइ मिल्लिवि कहि पत्तउ' पई विउय सिहि महु मणु तत्तउ। हा पइं विणु घरु-पिउ वण सरिसउ मह परिहासइ जइ तुहु वणि गउ। णित्तंसुयजलु किम परियलियउ णं अयालि गुरु पावसु सरियउ। हा पई पिणु हउं वंझ समाणिय हा पइं विणु हउं णउ महिराणिय । खाणु-पाणु-तंबोल वि लेवणु अंग पहाणु पुणु रइसुहु सेवणु। पई विणु भासहि जलण समाणा तणु जालिज्जइ विणु गय पाणा। पई विणु रयण वीठुकें भासइ कंटयाइ रोहणु मणु" तासइ। पई विणु चमरवाउ किं सीसइ णं जुय असिवराइव तणु भीसइ।
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6. K, जलहिं 7 . N, पयंईं 8. A, कुवलतहिं। 1. A, K,N, लेपिणु 2. A,K,N, सुणेपिणु 3. A, N, 'सोयइ 4. N, दुण्णी 5. A, मरंतंउ 6. K, मई 7. A,K, पत्तउं 8. A, K, N, भणु।