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... चर्चापत्र
गीथे, तोभी-मुल्क-व-मुल्कफिरकर लोगोकों धर्मोपदेश देतेथे,मुल्कगुजरात-काठियावाडतर्फ जहां श्रावकोंकी आबादी ज्यादाहै, उधर अहमदाबाद-पालिताना-पाटन-मेहसाणा-या-पालणपुरतकजैनमुनिकों विहारकरना ज्यादामुश्किल नहीं, मगरतमाम हिंदुस्थानमें विहारकरना, और परिसहसहनकरना मुश्किलहै,-मुल्कोमें फिरकरजिज्ञासुलोगोकों धर्मोपदेशदेना इसके बराबरकोइ धार्मिकफायदानही, अगरकोइ इससवालकों पेंशकरेकि-मुल्कगुजरात-काठियावाडमें विचरनेसे चारित्रधर्मका आराधन-ठीकहोताहै, जवाबमें मालुमहो,जैसाकोइ नियमनही, जहां अपनेआत्माकों धर्ममें पावंदरखनाचाहेवहां-रखशकते है, हां ! परिसह सहनकरना जरुरपडेगा, योग-वहते वख्त-एकेलातपकरलिया-और योगवहनहोगया, औसासमजना गलतहै,-शाथमें-उसशास्त्रका पाठऔर अर्थभी सीखनाचाहिये,-व्याकरण-काव्य-कोश-न्याय-अलंकार-और धर्मशास्त्रपढकर-संस्कृतप्राकृतजबानमें व्याख्यानदेना बडेकायदेकी बातहै,-अपनेधर्मानुयायीकों समजानासहजहै, मगरदुसरे धर्मवालोके शाथधर्मके-बारेमें वहेसकरना सहजनहीं, अब श्रावकधर्मकेवारमें बयानमुनिये, ! श्रावकको मुनासिवहै,-सदाचारसेचले, व्यापारमेभी जुठ-न-बोले, विश्वासघात-न-करे, श्रद्धारहित सिर्फ ! केशरका तिलकलगानेसे आवक नहीबनसकते, श्रावकके (२१) गुणहासिल करनाचाहिये, और बारहवत इख्तियारकरनाचाहिये,-अपनीधर्मश्रद्धा पावंदरहना, जीवहिंसासे बचावकरना, परस्त्रीगमन-नहीकरना,-अपनी दौलतका प्रमाणकरना, और नियमकरनाकि-इतनीदौलतसे ज्यादा होजायतो धर्ममेंखचढुंगा,-अपनी सालियाना पैदाशमेसेआधा-चतुर्थास या-दशांश-षोडशांश-धर्म खर्चना, रात्रीभोजन नहीकरना, चौदह नियम हरहमेशधारण-करना, दरसाल. एकजैनतीर्थकी जियारतकों