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दक्षिणनिवासी लेखका जवाब.
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होगा, जैसा कहना कौन इन्साफहै, -? उत्कृष्ट क्रियावान् - पूर्णसंयमी जैनमुनि विहारकेवख्त - श्रावक - या - नोकरचाकरकी सहायता-नलेवे, असहाय होकर विहारकरे, दिवसके तीसरे प्रहर भिक्षाकों जावे, क्योंकि - जैनशास्त्र उत्तराध्ययन सूत्र में - जैनमुनिको दिवसके तीसरे प्रहर गौचरीजाना कहा, जैनमुनिदिनमें एकहीदफे आहारकरे, क्यौंकि- दशवैकालिकसूत्रमें जैनमुनिको दिनमे एकदफे आहारखाना कहा, विहारके वख्तभी कंतान के मौजे न पहने, सबबकि - उत्तराध्ययन सूत्रमें धूपठंडवगेरा परिसह सहन करना कहा, दिनमे जैनमुनि - नींदन - लेवे, सोने-चांदीफ्रेम के चश्मे - न-पहने, चाहदूधकी गवेषणान-करे, उत्कृष्टक्रियावान पूर्ण - संयमीको स्वादकी जरुरत नही. - किसी- गांव - शहर - या - मकानपर कोइ जैनमुनिममता-न-करे, श्रावकोको मुनासिब है, - जो-जो - जैनमुनि पंचमहाव्रतधारी देखे उनको धर्मaara माने, और सेवा करे, औसा खयाल-न-लावे कि - ये - जैनमुनि हमारेगछ के - या - हमारे उपाश्रयके नहीं है, - सबजैनमुनिको मुनासिव है, - सवभावककों अपना श्रमणोपासक - समजे, असाखयाल - न-लावेकि - यहश्रावक हमारेगछका-या-समुदायका नही है, जैनमुनिकों मुनासिब है - व्याख्यान धर्मशास्त्रकादेते वख्त - सबश्रावकपर एकसमान बरताव रखे, दौलतमंदश्रावककों आगे-न- बुलावे, और गरीब श्रावककों पीछे-न-हठावे, व्याख्यानसभा में - जो- पहले आवे-आगेवेढे, और पीछेआवे पीछेवेठे, -
हरेक जैनमुनिको लाजिम है, जिस मुल्क में - धर्मोपदेशका फायदा ज्यादा देखेउवर विहारकरे, मुल्कगुजरातमें जैनमुनिके बिहारकी उ तनीजरूरत नही है, जितनी हिंदमें- मुल्कमारवाड - मेवाड - सिंध- पंजाब- राजपुताना - अवध - बंगाल - मध्यप्रदेश - बराड - खानदेश - महाराष्ट्र कर्णाकट - और - दखनतर्फ विहार करने की जरूरत है, तीर्थंकरदेव त्या