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________________ अर्थ-( कप्पेसु य ) के० बार देवलोक महिला पहेला सौधर्म देवलोकना देवोने ( मिय ) के० मृगर्नु चिन्ह, बीजा ईशान देवलोकना-देवोने (महिसो ) के० पाडानु चिन्ह, बाजा सनत्कुमार देवलोकना देवोने ( वराह ) के० भूअरनु चिन्ह. चोथा माहद्र देवलोकना देवोने ( सिंहा य) के. सिंहर्नु चिन्ह पांचमा ब्रह्म देवलोकना देवोने ( छगल) के० बोकडा, चिन्ह. छटा लांतक देवलोकना देवोने ( सालूरा) के० देडकार्नु चिन्ह, सांतमा शुक्र देवलोकना देवोने ( हय ) के० घाडा, चिन्ह, आठमा सहस्रार देवलोकना देवोने ( गय) के० हाथीनुं चिन्ह, नवमा आनत देवलोकना देवोने ( भुयंग ) के० सर्पचिन्ह दशमो प्राणत देवलोकना देवोने (खग्गी) के० गेंडानुं चिन्ह, अगीयारमा आरण देवलोकना देवोने (वसहा) के० वषभर्नु चिन्ह, अने वारमा अच्युत देवलोकना देवोने ( विडिमाई ) के० मृग विशेषनुं चिन्ह छे. ए ( चिधाइं) के० चिन्हो कह्यां ॥ १५२ ॥ ___ हवे दश वैमानिक इंद्रोना सामानिक देवता तथा आत्मरक्षक देवताओनी संख्या कहे छे. चुलसी असिइ बावत्तरि, सत्तरि सट्ठी य पन चत्ताला॥ 'तुलसुर)तीस वीसा, दससहस्स आयरक्ख चउगुणिया ॥ १५३ ॥ अर्थ-सौधर्मेंद्रना ( चुलसी) के चोराशी हजार, ईशानेद्रना ( असिइ) के० एंशी हजार, सनत्कुमारेंद्रना (बावत्तरि ) के० बहोंतेर हजार, माहेंद्रना ( सत्तरि) के० सीत्तेर हजार, ब्रह्मेदना ( सही य ) के० साठ हजार, लांतकेंद्रना ) पत्र ) के० प
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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