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________________ ९२ चास हजार, शुकना ( चत्ताला ) के० चालीश हजार, सहस्रारेना (तीस) के० त्रीश हजार, आनतप्राणतेंद्रना ( वीसा ) के वीश हजार, आरणअच्युतेंद्रना ( दससहस्स ) के० दश हजार ( तुल्लसुर ) के० सामानिक देवता जाणवा, अने ( आयरक्ख ) to आत्मरक्षक देवो ( चउगुणिया ) के सामानिक देवताथी चार गुणां दरेक इंद्रोने जाणवां ॥ १५३ ॥ उपरना विमाना कोने आधारे रह्यां छे ? ते कहे छे. दुसु तिसु तिसु कप्पेसु, घगुदहि घणवाय तदुभयं सुर भवणपद्वाणं, आगासपट्टिया उवरिं ।। १५४ || चकमा ॥ १२ अर्थ - ( दुसु ) के० पहेला अने वीजा देवलोकने (दहि ) hor आधार छे. (तिसु ) के० त्रीजा चोथा अने पांचमा देवलोकने ( घणवाय) के० घनवातनेो आधार छे, (च) ho वली (तिसु कप्पे ) के० छट्ठा सातमा अने आठमा देवलो - कने (तदुन) के० घनवि अने घनवातने। आधार छे ते (कमा) के० अनुक्रमे जाणवु. ( उवरिं) के० तेना उपर (सुरभणपट्टा ) के० देवलोकने आधार ते ( आगासपइट्टिया ) के० आकाशने आधारे छे. ॥ १५४ ॥ वे विमानाना पृथ्वीपिंडनुं अने विमाननुं उचपणुं त्रण गाथाथी कहे छे. सत्तावीससयाई, पुढवीपिंडो विमाणउच्चत्तं ॥ पंचसया कप्पदुगे, पढमे तत्तो य इक्किकं ।। १५५ ।। १२/
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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