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________________ ९० त्रण भाग थाय, अने एम करता (सेसमेगं ) के० जो एक शेप वधे तो ( तसेसु ) के० त्रिखूणामांहे (विव ) के० भेल. अने ( सेसदुगस्स ) के० शेष वे बधे तो ( इक्किकं ) के० एक एक मेलवj. ।। १५० ।। एटले ( तंसेसु य चउरंसेस ) के० एक त्रण खूणाम अने एक चार खूणामां भेलववुं. ( तो ) के० त्यार पछी ( रासितिगंधि) के० ए त्रणे राशोमांहेली एक एक राशाने पण ( चउगुणं काउ ) के० चारगुणा करने पछी (बट्टेसु) केला विमानमit (sai faa ) के० इंद्रक विमान भेलवावु पछी (पयरणं ) के प्रतरना चारे दिशाना विमाना एकठा करवाथी (कप्पे ) ० सौधर्मादिक देवलोके विमानानी सर्व संख्या थाय. १५१ अहिं एज वात दृष्टांत सहित समजाये के के सौधर्म तथा ईशान देवलोकना पहेला प्रतरमां एक दिशाए बासठ विमान छे, तेने त्रण भागे हेंची तो वीश वीशना एक एक भाग थाय. उपर वे विमान बधे. मांहेलं एक विमान त्रिखूणामां अने बीजुं विमान चोखणामां मेलवतां एकara विमान त्रिखूणावाला, एकवीश विमान चोखूणावाला अने वीश विमान वाटला थाय. पछी ए त्रणे राशीना विमानने चारगुणा करीने वाटलामांहे एक इंद्रक विमान मेलवीये एटले पहेला प्रतरनी चारे दिशानो चारे पंक्ति मलीने चोराशी त्रिखूणा, चोराशी चो खूणा अने एकाशी वाटली. एम सर्व मलीने बस ओगणपचास विमान थाय ॥ ए प्रमाणे बीजा प्रतरोने विषे पण जाणी लें. e सौधर्मादिक बार देवलोकना देवोनां चिन्ह कहे छे. कप्पे यमय महिसो, वराह सिंहा य छगल सालूरा | "हय गप भुवंग खग्गी, वसहा विडिमाई चिंधाई ॥१५२॥ 1
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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