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________________ ६३ नना अने स्वयंभुरमणमां एक हजार योजनना शरीरवाला मच्छ *. (थो सेसेमु ) के० वाकीना समुद्रोमां थोडा अने न्हाना मच्छ है. ॥ ९६ ॥ ये दरेक द्वीपे अने समुद्रे चंद्र भूर्यनी संख्या कहे छे. दो ससि दो रवि पढमे, दुगुणा लवणंमि धायईसंडे | बारस ससि बारस रवि, तप्पभिइ निदिठ्ठ ससिरविणो ॥ ९७॥ तिगुगा पुव्विलजुया, अगंतरानंतरंमि खितंमि ॥ ९५ कालोए बायाला, बिसत्तरी पुख्खरर्द्धमि ॥ ९८ ॥ १६ अर्थः- ( पढमे ) के० पहेला जंबुद्वीपने विषे ( दो ससि दो रवि ) के० वे चंद्र अने वे सूर्य छे. ( लवणंमि ) के० लवण समुद्रने तेथी (दुगुणा ) के० बमणा एटले चार चंद्र अने चार सूर्य छं तथा ( घायसंडे ) के० धातको खंडने विषे ( वारस ससि बारस रा ) के० बार चंद्र अने बार सूर्य छे. वली (तप्पभिइ ) के ते धातकी खंड प्रमुखने विषे ( निदिट्ठ ससिरविणो ) के० चंद्र सूर्यनी जे संख्या कही छे तेने ॥ ९७ ॥ ( तिगुणा ) के० त्रण गुणी करोपे अने लिया ) के० प्रथमना द्वीप समुद्रना चंद्र सूर्यनी संख्या तेमां एटले (अनंतरानंतरंभि खित्तमि) के० पाछल 3 ( पालनादान समुदना क्षेत्रने विव चंद्र सूर्यनी संख्या थाय. जेमके धातकी खं ना बार चंद्र अने बार सूर्य छे तेने त्रण गुणा करीये त्यारे छत्री सूर्य अने छत्रीश चंद्र थाय, तेमां जंबुद्धीपना अने लवण समुना मली छ चंद्र अने छ सूर्य मेलवीये त्यारे (कालो) ho कालो विषे ( बायाला ) के० बेतालीश चंद्र अने बतालीश सूर्य थाय. आगलना द्वीप समुहने विषे पण एज प्रमाणे करण करवायो चंद्र सूर्यनी संख्याथाय छे. जेमके कालोदधिना वेताली
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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