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रक्खस किंनर किंपुरिसा, महोरगा अष्ठमा य गंधवा॥ दाहिण उत्तर भेया, सोलस तेर्सि इमे इंदा ॥३८॥५८ __ अर्थः ते व्यंतर देवोनां (नगरो) जे (गुरु) के० महोटां छे ते (जंबुदीव) के. जंबुद्वीप जेवडां एक लाख योजन प्रमाण गोल आकारवालां छे. तथा जे ( जहन्न) के० जघन्य नगरो छे ते ( भारह ) के० भरतक्षेत्र जेवडां एटले ५२६ योजन तथा एक योजनना ओगणीया छ भाग उपर छे, अने (मज्झिमगा) के० मध्यम भुवनो छे ते (विदेहसम) के० महाविदेह क्षेत्र समान एटले ३३६८४ योजन अने एक योजनना
ओगणीया चार भाग उपर एवडां महोटां छे. (पुण) के० • वली ते नगरोमां रहेनारा (वंतर) के व्यंतर देवो ( अह.. विहा) के० आठ प्रकारना छे. तेमनां नाम कहे छे. १ (पिसाय) के० पिशाच, २ (भूया ) के० भूत, (तहा) के० तथा ३ ( जक्खा ) के० यक्ष. ॥ ३७॥ ४ ( रक्खस) के० राक्षस, ५ (किंनर ) के० किन्नर, ६ (किंपुरिसा) के० किंपुरुष, ७ (महोरंगा) के० महोरग, (य) के० अने ८ (अट्टमा) के० आठमा (गंधव्वा) के० गंधर्व. (दाहिण उत्तर भेया) के० दक्षिण अने उत्तर एवा बबे भेदथी (तेसिं ) के० तेमना (इमे ) के० आगली गाथामां कहेवाशे ते नामना सोलस इंदा के० शोल इन्द्रो छे. ॥ ३८ ॥ अहिं ए आठेना प्रतिभेद कहे छे:
सुन्दर आकृतिवाला, जोनारने आनंद उपजावनारा, हाथ तथा कंठमां रत्ननां आभूषणोने धारण करनारा कुष्मांड, पटक, जोष, आन्हिक, काल, महाकाल, चोक्ष, अचोक्ष, तालपिशाच,