________________
मुखरपिशाच, अधस्तारक, देह, महादेह, तूदश्नीक अने वनपि• शाच ए पंदर प्रकारना पिशाच देवो छे. ॥१॥
रूपवंत, सुन्दर मुखवाला अने विविध लेपनने धारण करनारा स्वरूप, प्रतिरूप, अतिरूप, भूतोत्तम, स्कंदिक, महास्कदिक, महावेग, प्रतिछत्रा काशगा ए नव प्रकारना भूतदेवो छे. ॥२॥
गंभीर स्वभाववाला, देखाववाला, शरीरनां मानोन्मान प्रमाणवाला, हाथपगना तलीया, नख, तालु, जीभ, होठ ए जेमना रातां छे एवा, सुन्दर मुकुट तथा विचित्र आभूषणोने धारण करनारा एवा पूर्णभद्र, माणिभद्र, श्वेतभद्र, हरिभद्र, सुमनोभद्र, व्यतिपाकभद्र, सुभद्र, सर्वतोभद्र, मनुष्ययक्ष, धनाधिप, धनाहार, रूपयक्ष अने यक्षोत्तम ए तेर भेद यक्ष देवोना छे. ॥३॥
भयंकर स्वभाववाला, भयंकर देखाववाला, विकराल राता लांबा होठवाला, झलहलतां आभूषणवाला, नाना प्रकारना विलेपनवाला एवा भीम, महाभीम, विघ्न, विनायक, जलराक्षस, यक्षराक्षस अने ब्रह्मराक्षस ए सात प्रकारना राक्षस देवो छे. ॥४॥ ___ शांत आकृतिवाला, सुन्दर मुखवाला अने मस्तक उपर मुकुटने धारण करनारा एवा किंनर, किंपुरुष, किंपुरुषोतम, हृदयंगम, रूपशालिन, अनिंदित, किंनरोत्तम, मनोरम, रतिप्रिय अने रतिश्रेष्ट ए दश प्रकारना किंनर देवो छे. ॥५॥
जेमना साथल अने भुजाओ रूपवंत छ, सुन्दर मुख शोभावाला तथा नाना प्रकारना आभूषणोने धारण करनारा एवा पुरुष, सत्पुरुष, महापुरुष, पुरुषवृषभ, पुरुषोत्तम, अतिपुरुष, महादेव, मरुत, मेरुप्रभ अने यशस्वंत ए दश प्रकारना किं पुरुष छे. ॥६॥