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________________ एज वात विस्तार सहित समजावे छे के-शर्करामभाना पहेला पतरे सात धनुष्य त्रण हाथ अने छ अंगुल देहमान छे. ते सात धनुष्यना अट्ठावीश हाथ थाय तेनी साथे उपरना त्रण हाथ मेलवतां एकत्रीश हाथ थाय. तेना अंगुल करवामाटे चोवीसे गुणीये तो सात सो चुमालोश अंगुल थाय, तेमां उपरना छ अंगुल मेलयतां सर्व मलो सात सौ पचास अंगुल थाय. तेने शर्करा प्रभाना अगीयार प्रतरने एके ऊणा करी दशे भाग आपीये तो एक एक भागे पंचोतेर अंगुल आवे. तेना त्रण हाथ अने त्रण अंगुल थाय. एटली शर्कराप्रभा पृथ्वीना पहेला प्रतरने विवे देहमाननी वृद्धि थाय. एम वीजा प्रतरथी आरंभी दरेक प्रतरे एवीज रोते वृद्धि करवी. ए प्रमाणे वीजीथी छट्ठी सुधी प्रत्येक नरक पृथ्वीने वि जाणवू. समजणमाटे यंत्र स्थापना जोवी. सातमी नरके एकज प्रतर छे माटे त्यां उत्कृष्ट पांचसो धनुष्यनुज देहमान छे. . हवे नारकी, उत्कृष्ट तथा जयन्य उत्तरवैक्रिय शरीर प्रमाण कहे छे. इय साहावियदेहा, उत्तरवेउविओ य तदुगुणो॥ २१ ? दुविहावि जहन्नकमा, अंगुल असंख संखंसो ॥३७॥४ ___ अर्थ-( इय ) के० ए पूर्वे साते नरकना नारकीओD (सा. हावियदेहो) के० स्वाभाविक एटले भवधारणीय शरीर प्रमाण क[. (तदुगुणो) के० तेनाथी बमणुं (उत्तरवेउविओय) के० उत्तर वैक्रियशरीर जाणवू. जेमके रत्नप्रभाने विवे पन्नर धनुष्य बे हाथ अने बार अंगुल उत्तर वैक्रिय शरीर होय. अने सातमीनरके एक हजार धनुष्य उत्तर वैक्रिय शरीर होय. ए भवधारणीय अने उत्तर वैक्रिय शरीरनुं प्रमाण कयु. हो (दुविहोवि जहन्न कमा ) के० अनुक्रमे बे प्रकारे जवन्य शरीर प्रमाण कहे छे. एक भवधारणीय बीजें
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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