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तं चेगूगगसगपयर, भइयं बीयाइ पयर वुट्ठिभवे ।। (तिकर तिअंगुल कस्सत्त,अंगुला सहि गुणवीस।।३७१।१२)
पग धगु अंगुलवीतं, पनरसघगु दुन्नि हत्थ सहा य॥ ) बासठि धणुहसढा,पण पुढवी पयर वुद्धि इमा ॥३७२।।
अर्थ-तं च ) के० ते शकरादिक पृथ्वीना पहेले प्रतरे से देहमान आये तेने ( एगूगा) के एक उगे (सर्गमयर ) के० पोत पाताने पारे ( भइयं) के. भाग आपको. तेम करता जे आंक आरे ते शर्करादिक पृथ्वीना (बोयाइ पयर) के. बीजा प्रारादिकने विरे (बुढिभवे ) के० वृद्धि होय, पण ते वृद्धि बोजी नरकपृथ्वीथी आरंभी छट्ठी पृथ्वी सुवी एटले पांच पृथ्वीना बोजा पारे अनुक्रमे जाणवी. हये शर्कराप्रभाना प्रथम पतरे सात धनुष्य त्रण हाथ अने छ अंगुल देहमान छे, तेमां (तिकर तिअंगुल ) के० त्रण हाय अने त्रग अंगुलनो वृद्धि करोये, तथा त्रीजा नरके प्रथम प्रतरे पन्नर धनुष्य बे हाथ अने वार अंशुलनुं देहमान छे तेमां (करसत अंगुला सढि गुगवीस ) के० सात हाथ ने साडो ओगणीश अंगुलनी वृद्धि करोये-॥ ३७१ ॥ चोया नरकना पहेले प्रतरे एकत्रीश धनुष्य अने एक हाथर्नु शरीर प्रमाग छे. तेमां (पग घणु अंगुलपीसं) के० पांच धनुष्य ने वीश अंगुलनो वृद्धि करोये. पांचमा नरकना पहेले पारे साडीबासठ धनुष्यनुं देहमान छे, तेमां (पनरस घणु दुन्नि हत्थ सहाय ) के० पन्नर धनुष्य ने अहीहाथनी वृद्धि करीये. छटा नरकना पहेले प्रतरे एक सो पच्चीस धनुष्यनुं देहमान छे, तेमां (बासहि धणुहसट्टा ) के० बासर धनुन्य अने बे हाथ नो वृद्धि करोये. एम (पण पुढवी पयर वुढि इमा ) के० पांच नरक पृथ्वीना प्रतरोने विषे ए प्रमाणे वृद्धि करवी. ॥ ३७२ ॥