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पांचसो वर्षतुं उपर होय छे. तथा ग्रहनी देवीनुं तथा ग्रहना विमा. नवासी देवोनी देवीओन उत्कृष्ठ आयुष्य अर्धं पलयोपमनुं होय छे. हवे (नक्षत्तताराणं) के नक्षत्र तथा तारानुं उत्कृष्ठ आयुष्य (कमेण) के० अनुक्रमे करीने कहे छे. ॥६॥ नक्षत्र अधिपति अने नक्षत्रना विमानवासी देवोनुं उत्कृष्ठ आयुषय (पलियद्धं) के० अर्दा पल्योपमर्नु होय छे. तथा तारा अविराति अने ताराना विमानवासी देवोनुं उत्कृष्ठ आयुष्य (चउभागो) के० पल्योपमना चोथाभाग होय छे. तथा (देवीण) के० नक्षत्रनौ देवीनुं तथा नक्ष
ना विमानवासी देवोनी देवीओ- (आउ ) के० उत्कृष्ठ आयुष्य (चउभागाहिग) के० पलयोपमनो चोथो भाग विशेषाधिक एटले पल्योपमनो चोथा भाग अने काइक वधारे होय छे. तथा तारानी देवीओर्नु अने ताराना विमानवासी देवोनी देवीओर्नु उत्कृष्ठ आयुष्य ( अड भागाहिग) के० पल्योगमनो आठमो भाग विशेषाधिक एंटले पत्योपमनो आठमो भाग अने कांइक वधारे होय छ: एम ए ज्योतिषी देवोनां पांचे युगलनु उत्कृष्ट आयुष्य क.
हवे ज्योतिषी देवोर्नु जयन्य आयुष्य कहे छे. पांच जातना ज्योतिषीमां चंद्र अने सूर्य ए बे इंद्र छे अने बाकीना त्रण विमानना अधिपतिओ छ, तेथी तेमनु जघन्य तथा मध्यम आयुषय नथी, माटें तेमना विना (चउजुअले) के० चार जुगल-ते चंद्रना विमानबासी देव अने देवीओ १, सूर्यना विमानवासी देव अने देवीआ २, ग्रहना विमानवासी देव अने देवीओ ३, नक्षत्रना विमानवासी देवे अने देवीओ ४, ए चारे जुगलजें (जहन्न) के जघन्य आयुष्य (चउं भागी) के० पल्यापमनो चोथो भाग होय अने (पंचमए) के० ताराना विमानवासी देव अने देवीओ ए पांचमा युगलनु जयन्य