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पलियं अहियं ससिरखीणं ॥ ५ ॥ लक्खेण सहस्सेण य, वासाण गहाण पलियमेए सिं ॥ ठिइ अर्द्ध देवीणं, कमेण नक्खत्त ताराणं ॥ ६ ॥ ( पलिअद्धं चउभागो, चउअडभागाहिगा उ देवीणं ॥ चउजुले चउभागो, जहन्नमडभाग पंचम ॥ ७ ॥
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अर्थ - ज्योतिषी देवताना वे भेद छे. चर अने स्थिर. तेमां अढी द्वीपनी मांहेला चर छे अने अढी द्वीपनी बाहेरना स्थिर छे. ते सर्व ज्योतिषी मांहेना जे ( ससि) के० चंद्रमा इन्द्र अने चन्द्रमाना विमानवासी देवो छे, तेमनुं उत्कृष्ट आयुष्य ( वासाण लक्खेण अहियं पलियं ) के० एक लाख व अधिक एक पल्योपम, अर्थात् एक पल्योपम अने एक लाख वर्षं होय छे. (य) के० तथा (रवीणं) के० सूय इन्द्र अने सूर्यना विमानवासी देवोनुं उत्कष्ट आयुष्य ( वासाग सहस्सेण अहियं पलियं ) के० एक हजार वर्ष अधिक एक पल्योपमं अर्थात एक पल्योपम अने एक हजार वर्षनुं होय छे. तथा (गहाण) के० ग्रह विमानाधिपति अने ग्रहना विमानवासी देवोनुं उत्कृष्ट आयुष्य ( पलियं ) के० एक पल्योपमनुं होय छे. वली (एएसिं) के० ए पूर्वे कहेला. चन्द्र सूर्य अने ग्रहो तथा तेमना विमानवासदेवो ए सर्वनी (देवीणं) के० देवीओनी ( ठिइ) के० आयुष्य (अर्द्ध) के० अर्द्ध जाणवु. एटले चंद्रनी देवीनुं तथा चंद्रना विमानवासी देवोनी देवीओनुं उत्कष्ट आयुष्य अर्ध पल्योपम अने पचास हजार वर्ष उपर होय छे. तथा सूर्यनी देवीनुं अने सूर्यना विमानवासी देवोनी देवीओनुं उत्कष्ट आयुष्य अर्ध पल्योपम अने