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________________ एक एक खांडयो सनाडीना बहार वन्ने बाजुए छे, तेनी उपर बे पंक्तिने विवे चार चार खांडवा छे ते चारे त्रसनाडोमांज छे, एम उर्व लोकने विषे सात राज प्रमाणमां सर्व मलाने त्रण सो चार खांडवा थाय छे. ॥ १९७ ॥ ___ हवे नीचेना सात राजलोकना खांडवा कहे छे. उवरोव लोगमज्झा, चउट्ठाणे सत्तपुढविसु चउ दस ।। साल वोसा चवीस,छबीसा तहय अडबोसा ।।१९।। ____ अर्थ-( उपरिव ) के० उपरना सात राजनी पेठे ( सत्तपुढविसु ) के नाचेना साते नरक पृथ्वीने विषे ( लोगमज्झा ) के० त्रसनाडीमां एक राजलोकना ( चउठाणे ) के० चार चार खांडवा छे. रत्नप्रभादि साते नरकरूप सात राजलोकमां अनुक्रमे ( चउ ) के० चार चार, (दस ) के० दश दश, ( सोल ) के० शोल शोल, (वीसा) के वीस वीस, ( चवीस ) के० चोवीश चोवीश, ( छब्बीसा ) के० छवीश छवीश, (तहय ) के० तेमज (अडवीसा) के० अठ्ठावीस अट्ठावीश खांडवा छे. ___समजूती एम छे के-अधो लोकनी सात पृथ्वी सात राजप्रमाण उंची छे. एटले एक एक पृथ्वी एक एक राज प्रमाण उंची छे. अने तेमां पा पा राज प्रमाणनी चार चार पंक्ति छे. तथा साते पृथ्वीमां मध्यनाडी एक राज प्रमाण पहोली छे. रत्नप्रभा पृथ्वी एक राज प्रमाण पहोली होवाथी तेमां फक्त मध्य नाडीनी चारे लाइनमां पा पा राजना चार चार जे खांडवा छे. तेनी बहार एक पण खांडवो नथी. तेनी नीचे बीजी शर्करा प्रभा अढीराज प्रमाण पहोली होवोथी तेनी चारे पंक्तिने विषे दश दश खांडवा छे, तेमां चारा चार खांडवा त्रसनाडोमां छे, अने त्रण त्रण खांडवा त्रसना
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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