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पद्मानि
[ कल्पान्तर्वाच्यः विरायंत-कुंदमाला-परिणद्ध-जलजलिंत-थणजुअल-विमलकलसं, अइअपत्तिअ-विभूसिएणं सुभगजालुज्जलेणं मुत्ता-कलावएणं उरत्थ-दीणार-मालिअविरइएणं कंठमणि-सुत्तएणं य कुंडलजुअलुल्लसंत-अंसोवसत्त-सोभंतसप्पभेणं सोभागुण-समुदएणं आणण-कुडुबिएणं कमलामलविसाल-रमणिज्ज-लोअणिं, कमल-पज्जलंत-कर-गहिअ-मुक्क-तोयं, लीलावाय-कयपक्खएणं सुविसद-कसिणघण-सण्ह-लंबंत-केसहत्थं, पउमद्दह-कमल-वासिणिं सिरिं भगवई पिच्छइ हिमवंत-सेल-सिहरे दिसा-गइंदोरु-पीवर-कराभिसिच्चमाणिं॥ सूत्र ३६॥
सोवण्णमए य हिमवइ सयजोयणुच्चे पिहुलए अहियं। जोयण-दस-सय-बावण्ण-माणे तत्थथि पउमदहे ।। २३६॥ उब्विः दस जोयण सहस लंबे य पंचसयपिहुले । वज्ज-तले तम्मज्झे पउमेगं सासयं नेयं ।। २३७ ।। कोस-दुगुच्चं जोयण-दस-नालं एगकोस-दीहं च। वजमय-मूल रिट्ठ य रयणमय-कंद-मिच्चाइ॥२३८॥ तम्मज्झे सिरिदेवी-भवणं सयणीयमत्थि तप्परओ। अट्ठसयकमलवलये पढमे देवी अलंकारा ।। २३६॥ बीए वायव्येसाणुत्तरदिसि सामाणियाण देवाणं । चउ चउ सहस्स-पउमा पुव्व-दिसाए य चत्तारि ।। २४०॥ महत्तर-देवी-पउमा अग्गिदिसाए य अट्ठसहस्स-वरा। अब्भंतर-परिसाए देवाणं गुरुसमाणाणं ।। २४१॥ मित्तसमाण-सुराणं दक्खिण-भाए य सहस दस पउमा। नेरइए य दुवालस किंकरसम-बज्झ-परिसाए।।२४२ ॥ पच्छिम-भाए सत्त य अणियाण हुंति भासुरा पउमा। तइये वलये सोलस सहस्संग रक्खिय-सुराणं ।। २४३॥ बत्तीस लक्ख अभिओगि-देवाणं हंति चउत्थए वलये। पंचम-वलये चत्ता लक्खा अभिओग-देवाणं ॥२४४ ॥ छडे वलये पउमा चुलसी लक्खा य हुंति देवाणं। एएसिं सव्वेसिं सामिणी सिरी य विक्खाया।।२४५॥