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७४०) विरति किसे कहते हैं ? उत्तर : प्राणातिपात, मृषावाद, अदत्तादान, मैथुन, परिग्रह, रात्रिभोजन आदि पाप
क्रियाओं का देशतः या सर्वतः त्याग करना, विरति कहलाता है। ७४१) विरति के कितने भेद है ? उत्तर : दो - (१) देशविरति (२) सर्वविरति । ७४२) देशविरति किसे कहते हैं ? उत्तर : अपनी शक्ति के अनुसार व्रत पच्चक्खाण करना, अथवा देशतः
(आंशिक) अशुभाश्रवों का त्याग करना, देशविरति कहलाता है। ७४३) सर्वविरति किसे कहते हैं ? उत्तर : सभी पापों का सर्वथा त्याग करना सर्वविरति कहलाता है। ७४४) अप्रमाद किसे कहते हैं ? उत्तर : पांचो प्रमाद छोडना अप्रमाद है। अप्रमाद से प्रमादरुप आश्रव द्वार बंद
हो जाते है। ७४५) अकषाय किसे कहते हैं ? उत्तर : कषायों का शमन करना, समभाव रखना अकषाय है। ७४६ ) नवतत्त्व में संवर के कितने भेदों का उल्लेख हैं ? उत्तर : नवतत्त्व में संवर के ५७ भेद इस प्रकार उल्लिखित हैं -
समिति – ५, गुप्ति - ३, परीषह - २२, यतिधर्म - १०, भावना -
१२, चारित्र - ५। ७४७) समिति किसे कहते है ? उत्तर : आवश्यक कार्य के लिये यतनापूर्वक सम्यक् चेष्टा या प्रवृत्ति को
समिति कहते हैं। ७४८) समिति के कितने भेद हैं ? उत्तर : पांच - (१) ईर्या समिति, (२) भाषा समिति, (३) एषणा समिति, (४)
आदान समिति, (५) पारिष्ठापनिका समिति । ७४९) ईर्या समिति किसे कहते हैं ? उत्तर : ईर्या अर्थात् मार्ग में उपयोग पूर्वक चलना । ज्ञान, दर्शन, चारित्र के
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श्री नवतत्त्व प्रकरण