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________________ ७३०) पुस्तक, आसन आदि वस्तुओं को यतना पूर्वक लेने और रखने से कौनसे संवर की आराधना होती है ? उत्तर : पुस्तक, आसन आदि कोई भी वस्तु यतनापूर्वक लेने और रखने में संवर के उन्नीसवें भेद की आराधना होती है। ७३१) संवर के मुख्य कितने भेद हैं ? उत्तर : पांच - (१) सम्यक्त्व, (२) विरति, (३) अप्रमाद, (४) अकषाय, (५) शुभयोग। ७३२) सम्यक्त्व किसे कहते हैं ? उत्तर : सुदेव-सुगुरु-सुधर्म पर या जीवादि नव तत्त्वों पर दृढ श्रद्धान सम्यक्त्व ७३३) सम्यक्त्व कैसे जाना जाता है ? उत्तर : पांच लिंगों अथवा लक्षणों से सम्यक्त्व जाना जाता है। ७३४) सम्यक्त्व के ५ लक्षण कौन से हैं ? उत्तर : (१) शम, (२) संवेग, (३) निर्वेद, (४) अनुकम्पा, (५) आस्तिक्य । ७३५) शम किसे कहते हैं ? उत्तर : मिथ्यात्व का शमन करना, शत्रु-मित्र पर समभाव रखना, शम है। ७३६) संवेग किसे कहते हैं ? उत्तर : धर्म में रुचि, वैराग्यभाव व मोक्ष की अभिलाषा संवेग है। ७३७) निर्वेद किसे कहते हैं ? .. उत्तर : भोग व संसार में अरुचि रखना, संसार को कैदखाना समझना, आरंभ परिग्रह से निवृत्त होना, निर्वेद है। ७३८) अनुकंपा किसे कहते हैं ? उत्तर : दुःखी जीवों पर दया करना, उनके दुःख को दूर करने का प्रयास करना ___ अनुकंपा है। ७३९) आस्तिक्य किसे कहते हैं ? उत्तर : धर्म, पुण्य, पाप, आत्मा, लोक, परलोक, स्वर्ग-नरक में आस्था रखना अर्थात् उनके अस्तित्व को स्वीकारना, आस्तिक्य है। - श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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