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________________ पुरुषसिद्धा गौतमादयो, गांगेयादयो नपुंसकाः सिद्धाः । प्रत्येक स्वयंबुद्धा, भणिताः करकण्डु कपिलादयः ॥५८॥ तथा बुद्धबोधिता गुरुबोधिता, एक समये एकसिद्धाश्च । एक समयेऽप्यनेकाः, सिद्धास्तेऽनेक सिद्धाश्च ॥ ५९ ॥ शब्दार्थ जिणसिद्धा - जिन सिद्ध अरिहंता - अरिहंत देव अजिण सिद्धा अजिनसिद्ध पुंडरिक गणधर पुंडरिअ पमुहा - प्रमुख (तीर्थंकर परमात्मा) १६० पुंसिद्धा - पुरुषलिंग सिद्ध गोयमाइ गौतमादि गांगेयाइ गांगेय आदि नपुंसयासिद्धा नपुंसक सिद्ध पत्तेय - प्रत्येकबुद्ध सिद्ध - शब्दार्थ गिहिलिंग सिद्ध - गृहस्थलिंग सिद्ध साहू - साधु भरहो - भरत चक्रवर्ती वक्कलचीरी - वल्कलचीरी य - और अन्नलिंगम्मि - अन्यलिंग सिद्ध - तह - तथा बुद्धबोहि - बुद्धबोधित सिद्ध गणहार - गणधर तित्थसिद्धा तीर्थ सिद्ध है । अतित्थ सिद्धा - अतीर्थ सिद्ध य और मरुदेवी - मरुदेवी माता शब्दार्थ सलिंगसिद्धा - स्वलिंग सिद्ध थी सिद्धा - स्त्रीसिद्ध चंदणा पमुहा - चंदना प्रमुख - सयंबुद्धा भणिया - शब्दार्थ स्वयंबुद्ध सिद्ध कहे गये है । करकंडु - करकंडु कविलाइ कपिल आदि गुरुबोहिया - गुरु द्वारा बोधित सिद्ध य और श्री नवतत्त्व प्रकरण
SR No.022327
Book TitleNavtattva Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherRatanmalashree Prakashan
Publication Year
Total Pages400
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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